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शैक्षिक नवाचार: जनजाति क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगा रहा शिक्षक, जुड़े कई भामाशाह

विभिन्न अभियानों के माध्यम से सैकड़ों विद्यालयों व हजारों जरूरतमंद विद्यार्थियों तक पहुंचा रहे शैक्षिक-सहशैक्षिक मदद

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गोगला स्कूल में विद्यार्थियों को चित्रकला किट का वितरण

मदन सिंह राणावत/झाड़ोल. जिले के ग्रामीण जनजाति क्षेत्र में शिक्षा को लेकर एक ओर जहां सरकार की ओर से प्रयास किया जा रहे है, वहीं दूसरी ओर समाज में कुछ शिक्षक ऐसे भी है, जो अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन कर रहे है। झाड़ोल उपखंड के गांव मगवास निवासी और राप्रावि घाटाफला में कार्यरत अध्यापक नरेश लोहार, जो पिछले आठ वर्षों से जनजातीय अंचल के 300 से अधिक विद्यालयों और हजारों विद्यार्थियों तक शैक्षिक व सहशैक्षिक सहायता पहुंचाकर एक नई मिसाल पेश कर रहे है। जहां वे स्वयं भामाशाह प्रेरक की भूमिका निभाते हुए सोशल मीडिया के माध्यम से देश-विदेश के भामाशाहों को जोड़कर जरूरतमंद बच्चों के लिए सामग्री, संसाधन और अवसर जुटा रहे है।

इन अभियानों से बनी पहचान

-हर हाथ कलम अभियान (स्टेशनरी बैंक): जरूरतमंद विद्यार्थियों को स्कूल बैग, नोटबुक, बॉटल, लंच बॉक्स आदि भेंट कर पढ़ाई से जोड़ने का प्रयास।

-मिशन चरण कमल (जूता बैंक): नंगे पैर स्कूल आने वाले बच्चों को जूते-चप्पल प्रदान कर सम्मानपूर्वक विद्यालय से जोड़ना।

-गुलाबी सर्दी अभियान: ठंड में विद्यार्थियों को स्वेटर, गर्म कपड़े आदि देकर स्कूल में उपस्थिति बनाए रखना।

-अभियान वस्त्रम: जरूरतमंदों को नए व पुराने वस्त्र उपलब्ध कराना।

-अभियान वृक्षम: बीज से पौधे तैयार कर बच्चों और ग्रामीणों में वितरित करना, पौधरोपण कराना, सीडबॉल्स से वन क्षेत्र को बढ़ाने पर बल।

-स्मार्ट क्लास रूम: सरकारी विद्यालयों में स्मार्ट टीवी, प्रोजेक्टर, कंप्यूटर आदि पहुंचाकर तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देना।

-स्मार्ट खिलौना बैंक: शैक्षिक व मानसिक विकास के लिए खिलौनों की सुविधा करना।

-मिशन नवोदय/एनएमएमएस: परीक्षा की निशुल्क कोचिंग व सामग्री उपलब्ध कराना।

-अभियान दिव्यांगम्: दिव्यांग विद्यार्थियों को व्हीलचेयर, वॉकर आदि देकर स्कूल से जोड़ना।

-अभियान संबलन: महिलाओं व बालिकाओं को निशुल्क सिलाई प्रशिक्षण व सिलाई मशीनें प्रदान कर आत्मनिर्भर बनाना।

-प्रोजेक्ट मॉडल स्कूल: जर्जर व दुर्गम स्कूलों में मरम्मत, निर्माण व फर्नीचर की व्यवस्था करना।

-वॉटर फॉर वॉइसलेस: पशु-पक्षियों के लिए पानी, परिंडे, बर्ड हाउस और रेस्क्यू व्यवस्था करना।

एक बच्ची की मासूम बात ने बदल दी सोच

शिक्षक नरेश ने बताया कि इस आंदोलन की शुरुआत एक भावुक क्षण से हुई, जब उसने गर्मी में नंगे पांव स्कूल आते बच्चों को देखकर उनके लिए जूते खरीदे। लेकिन एक बच्ची ने जूते पहनने के बजाय उन्हें बैग में रख लिया। पूछने पर वह बोली कि Òसर, अगर पहन लूंगी तो फट जाएंगे। फिर कहां से लाऊंगी?Ó इस वाक्य ने लोहार को अंदर तक झकझोर दिया। उसी दिन से उन्होंने ठान लिया कि शिक्षा के मार्ग की हर बाधा को हटाना है।


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