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छह महीने भी नहीं हुए पूरे और जमकर रिश्वतखोरी, त्रस्त अपनों ने ही लगा दिया ठिकाने

-कुशलगढ़ में रिश्वत लेते पकड़े गए बीडीओ और ग्राम विकास अधिकारी को जेल भेजा

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-कुशलगढ़ में रिश्वत लेते पकड़े गए बीडीओ और ग्राम विकास अधिकारी को जेल भेजा

-कुशलगढ़ में रिश्वत लेते पकड़े गए बीडीओ और ग्राम विकास अधिकारी को जेल भेजा

भुवनेश पंड्या

उदयपुर/बांसवाड़ा/कुशलगढ़. जिले की कुशलगढ़ पंचायत समिति में फरवरी में जिम्मा संभालने के बाद से विकास अधिकारी फिरोज खान ने लूट-खसोट शुरू कर दी थी। दो-तीन साल पुराने विकास कार्यों को लेकर लेखुने निकालने और यूसी-सीसी के नाम पर लाखों की रिश्वत मांग कर स्थानान्तरण के बाद भी पीछा करने से कर्मचारी घबरा उठे। नतीजे में अधीनस्थों ने एक के बाद एक शिकायत एसीबी से की और रविवार को ट्रेप करवाकर भ्रष्टाचार के खेल का भंडाफोड़ कर दिया।
मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के एएसपी माधोसिंह ने बताया कि इनमें एक केस में कुशलगढ़ से स्थानान्तरित होकर सज्जनगढ़ ब्लॉक में काम कर रहे एलडीसी मुकेश पणदा ने 11 अगस्त को शिकायत की, तो ब्यूरो ने १३ अगस्त को सत्यापन करवाया। फिर ट्रेप की प्लानिंग कर ही रहे थे कि 14 अगस्त को ग्राम विकास अधिकारी गोविंद भाभोर ने आकर शिकायत की। उसका सत्यापन दिनभर के प्रयासों के बाद रात दस बजे हुआ, तो दोनों केस में बीडीओ की भूमिका पर एक साथ कार्रवाई चुनौतीपूर्ण रहा। ऐसे में उदयपुर एसीबी से सीआई हरीशचंद्रसिंह की टीम बुलवाई गई। फिर स्वतंत्रता दिवस पर दोनों टीमों ने अपने-अपने तय मोर्चे संभाले और दस-पंद्रह मिनट के अंतराल में बीडीओ फिरोज खान और ग्राम विकास अधिकारी मलजी पुत्र फूलजी गणावा को ट्रेप किया। बांसवाड़ा की टीम में राजकुमारसिंह, राजेंद्रसिंह, माजिद खां, महिला कांस्टेबल शामिल थे। उदयपुर से सीआई हरीशचंद्रसिंह के जाब्ते ने सफलता हासिल की। आरोपियों को बांसवाड़ा लाने के बाद रात्रि तक अग्रिम कार्रवाई और पूछताछ का क्रम चला। उसके बाद सोमवार को दोनों को उदयपुर ले जाकर भ्रष्टाचार मामलों के विशेष न्यायालय में पेश किया गया, जहां से इन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश हुए।

चार-चार पंचायतों का चार्ज, सबके लिए बार-बार उगाही
ब्यूरो की जांच से सामने आया कि कुशलगढ़ ब्लॉक में परिवादी ग्राम विकास अधिकारी गोविंद भाभोर के पास रामगढ़, लोहारिया बड़ा, सातलिया और खेड़पुर ग्राम पंचायत का चार्ज है। बीडीओ खान ने खेड़पुर पंचायत में पांच-पांच लाख की लागत की दो सीसी सडक़ों और चारों पंचायतों में पंचायत समिति की ओर से आरडी वक्र्स के तहत बीडीओ स्तर से मंजूर 95 लाख की लागत के कार्यों की यूसी-सीसी समायोजित करने की एवज कमीशन के 1 लाख 39 हजार रुपए मांगे थे। बकौल, गोविंद बार बार उगाही पर ११ अगस्त को उसने उधार 50 हजार लाकर दिए, तो भी बाकी 90 हजार के लिए दबाव बना रहा। तब परेशान होकर उसने एसीबी से शिकायत की और सत्यापन के दौरान बार्गेनिंग से अभी 50 हजार रुपए लेने पर सहमत होने पर मजबूरन बीडीओ को ट्रेप करवाया।

नहीं दे पाने पर आगे उलझन बढऩे का था खतरा
परिवादियों के अनुसार राशि नहीं देने पर बीडीओ खान उन्हें आगे उलझाने की बात कर टॉर्चर करता था। अक्सर ऐसे मामलों में वह पंचायत में चल रहे विकास कार्यों में कमी निकाल कर शाम को घर पर आकर मिलने को कहता था। फिर प्रोग्रेस के लिए पीईओ पर दबाव बनाता और ग्राम विकास अधिकारियों से खुद वसूली करता रहा।

अस्थाई था जिम्मा, इलाका छूटा पर बीडीओ ने नहीं छोड़ पीछा

दूसरे टे्रप के परिवादी मुकेश पणदा की हालत भी खराब थी। उसने ब्यूरो को बताया कि वह पूर्व में कोटडा में एलडीसी था। तब ग्राम विकास अधिकारी का पद रिक्त होने पर उसे अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया। फिर उसका तबादला सज्जनगढ़ कर दिया गया, लेकिन वहां पुराने काम को लेकर कुशलगढ़ बीडीओ ने दबाव बनाया। उसने इसके लिए मौजूदा ग्राम विकास अधिकारी मलजी पुत्र फूलजी गणावा के जरिए फोन करवाए। इसमें मलजी ने 2018-19 में विधायक मद से 9 लाख की लागत स्वीकृत सामुदायिक भवन की यूसी-सीसी जारी के लिए बीडीओ को 20 हजार देना जरूरी बताया। बकौल मुकेश, बीडीओ खान ने उससे सीधी बात नहीं की पर मलजी के जरिए दबाव बना रहा था। इस पर ब्यूरो से शिकायत की और टिमेड़ा में २० हजार देते मलजी को पकड़वाकर बीडीओ के खेल को खत्म किया। गौरतलब है कि ग्राम विकास अधिकारी मलजी के पास 4 ग्राम पंचायतों बिजोरी बड़ी, डूंगरीपाड़ा, कोटड़ा और आमलीपाड़ा का कार्यभार दिया हुआ था।