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दिव्यांग परिवार की मदद को बढ़े हाथ

प्रशासन एवं भामाशाहों ने घर पहुंचाया राशन, कपड़े व अन्य सामग्री

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दिव्यांग परिवार की मदद को बढ़े हाथ

दिव्यांग परिवार की मदद को बढ़े हाथ

कोटड़ा . क्षेत्र के सड़ा गांव में दिव्यांग परिवार की पीड़ा को लेकर राजस्थान पत्रिका में ‘दाने-दाने को तरस रहे बच्चे एवं दिव्यांग मुखिया’ शीर्षक से समाचार प्रकाशन के बाद आखिरकार प्रशासन हरकत में आया और उसने परिवार को राहत पहुंचाने के कदम उठाए। कई भामाशाह भी इस परिवार की मदद को आगे आए हैं।

प्रशासन के निर्देश पर सड़ा का राशन डीलर, ग्राम विकास अधिकारी हरीश दर्जी एवं सरपंच पति शंकरलाल पारगी 40 किलोग्राम गेहूं लेकर दिव्यांग रमेश के घर पहुंचे। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर राशन डीलर ने एक बार तो आनन फानन में गेहूं की वैकल्पिक व्यवस्था कर दी है लेकिन दिव्यांग रमेश को यह चिंता सता रही है कि क्या उसके परिवार को हर माह राशन मिल पाएगा। उदयपुर का खुशियां नामक संस्था के युवा कार्यकर्ता भी इस दिव्यांग परिवार की मदद के लिए आगे आए है। उन्होंने इस परिवार को कपड़े, कंबल, स्वेटर एवं खाने-पीने की राशन सामग्री शामिल भेंट की है।

ग्राम विकास अधिकारी हरीश दर्जी दिव्यांग रमेश को कोटडा सीएचसी लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने उच्च चिकित्सा एवं दिव्यांग मेडिकल प्रमाण पत्र बनवाने के लिए सोमवार को उदयपुर ले जाने के लिए कहा ताकि उसे हर माह पेंशन राशि मिल सके।

क्या था पूरा मामला
दिव्यांग रमेश बचपन से दोनों आंखों से देख नहीं पाता है। उसके बच्चे भी दिव्यांग होने से देख नहीं पाते हैं। 5 सदस्यों के परिवार का गुजारा चलाने की जिम्मेदारी रमेश की पत्नी बबी पर आ गई थी लेकिन चार वर्ष पूर्व वह इस परिवार को छोडकऱ नाते चली गई। आधार कार्ड पर रमेश के फिंगर प्रिंट का मिलान नहीं होने से पॉश मशीन से उसे राशन का गेहूं मिलना बंद हो गया था। रमेश की बुजुर्ग मां जेठू की विधवा पेंशन से पूरे परिवार का गुजारा चल रही है। रमेश की तरह कोटड़ा क्षेत्र में कई दिव्यांगों को फिंगरप्रिंट एवं आंखों के रेटिना का मिलान नहीं होने से उनकेराशन कार्ड, आधार कार्ड, भामाशाह कोर्ड व बैंक खाते के काम नहीं हो रहे हैं। ऐसे में ये सरकारी स्तर पर मिलने वाली सुविधाओं से वंचित हैं।