
मोहम्मद इलियास Motivational Story: महज साढ़े तीन साल की उम्र में आंखों की रोशनी खो देने के बावजूद दर्पण ने अपना जज्बा नहीं खोया और आम बच्चे की तरह न केवल सीए की परीक्षा उत्तीर्ण की, बल्कि उससे दो कदम आगे बढ़ते हुए शतरंज में देश का मान बढ़ाया और चीन में पैरा एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक हासिल किया।
उदयपुर निवासी दर्पण फिलहाल बड़ौदा में व्यवसायरत अपने माता-पिता के साथ रह रहा है। उदयपुर में जन्मे दर्पण ने अपनी शिक्षा बड़ौदा से ही की। हाल ही उसने चीन के हांगझाऊ में पैरा एशियन गेम्स में अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। उसने देश व स्वयं के लिए स्वर्ण पदक हासिल किया। दर्पण ने वहां पुुरुषों की बी-1 कैटेगरी की टीम स्पर्धा में बाजी मारी।
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आंखों की रोशनी गई लेकिन हिम्मत नहीं हारी
उदयपुर के सुभाषा नगर में जन्मे दर्पण इनानी पूरी तरह से दृष्टिहीन शतरंज खिलाड़ी है। वह भारत में सर्वाधिक रेटिंग वाले विजुअली चैलेंज्ड प्लेयर हैं। साढ़े तीन साल की उम्र में स्टीव जॉनसन सिंड्रोम से पीड़ित होने के बाद उनकी आंखों की रोशनी चली गई, लेकिन उन्होंने हौंसला नहीं हारा। ऑनलाइन नोट्स के आधार पर ही उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की।
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निराश युवाओं के लिए दर्पण बने प्रेरणा के स्रोत
दर्पण ने बड़ौदा में एक सामान्य स्कूल में अपनी स्कूलिंग की है। वहां वह एकमात्र दृष्टिहीन विद्यार्थी थे। सामान्य बच्चों के साथ प्रतिस्पर्धा होते हुए वह स्कूल में प्राय: 90 फीसदी अंक लाते थे और टॉप 3 रैंक में रहते थे। 11वीं में उन्होंने कॉमर्स विषय चुना और 12वीं में 99 फीसदी अंक प्राप्त करके सीए कोर्स ज्वाइन किया। दर्पण ने पहले ही प्रयास में ही सीए एंट्रेंस और इंटरमीडिएट्स क्लीयर कर लिया। उन्होंने सीए पूरा किया। इसके बाद देश के टॉप मैनेजमेंट इंस्टीटयूट में प्रवेश के लिए कैट में प्रथम प्रयास में चयनित हुए। अभी वह जीवन में बाधाएं आने पर निराशा होने वाले युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं।
Published on:
08 Nov 2023 10:07 am
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