
डीआईजी (जेल) के सरकारी वाहन से टकराई भैंस की देर रात मौत
कानोड़. Latest jail news डीआईजी जेल के सरकारी वाहन की चपेट में आई भैंस की मंगलवार देर रात उपचार के अभाव में मौत हो गई। भैंस की मौत के बाद पशुपालक परिवार में मातम छा गया। परिवार ने भूखे रहकर शोक मनाया। दूसरी ओर भैंस के मरने की सूचना पर डूंगला थाना पुलिस के जवानों ने मौका पर्चा बनाया। इधर, पोस्टमार्टम के लिए मौके पर पहुंचे मंगलवाड़ के चिकित्सक ने पीडि़त पशुपालक से कार्रवाई के नाम पर 5 सौ रुपए ऐंठ लिए। पीडि़त परिवार ने उधार लाकर भैंस के पोस्टमार्टम की यह राशि अदा की। इधर, पुलिस की मौजूदगी के बीच पोस्टमार्टम करने आए पशु चिकित्सक ने भैंस के गर्भवती होने जैसे सवालों का स्पष्ट खुलासा नहीं किया, लेकिन यह कहते भी देखे गए कि दो माह पहले भैंस को गर्भधारण कराने का इंजेक्शन अवश्य लगाया गया था। मरी हुई मुर्रा नस्ल की भैंस की बाजार कीमत करीब 60 से 65 हजार रुपए बताई जा रही है। वहीं पशुपालक की ओर से भैंस की लागत 80 हजार रुपए बताई गई। बता दें कि मंगलवार को कानोड़ उपकारागृह के निरीक्षण पर गए डीआईजी (जेल) सुरेंद्रसिंह का सरकारी वाहन यहां कानोड़-भींडर सड़क पर दौड़ती हुई भैंस से टकरा गया था। घायल भैंस के उपचार को लेकर पशुपालक पृथ्वीराज गाडरी ने उपकारागृह के बाहर जाकर डीआईजी से मिलने की गुहार लगाई थी, लेकिन न्याय मिलने की बजाए वहां पहुंचे ग्रामीणों को खाकी वर्दी में तैनात जवानों ने खदेड़ दिया था।
सरकारी वाहन के बदले कायदे
यातायात नियमों के तहत सड़क पर दौड़ते हर वाहन के बीमे की अनिवार्यता तय हैं। लेकिन, प्रदेश सरकार की ओर से जिला पूल, पुलिस महकमे एवं अन्य विभागों को जारी होने वाले वाहनों का बीमा नहीं होता। ऐसे में बीमा राशि के तौर पर मिलने वाली सहयोग राशि का कायदा सरकारी वाहनों के लिए नहीं होता। ऐसे में पीडि़त पशुपालक को सहायता के तौर पर किसी भी स्तर से मदद मिलने की उम्मीद नहीं के बराबर बनी हुई है। सवाल यह भी खड़ा होता है कि सरकारी वाहनों से जुदा कायदे निजी वाहनों पर क्यो लागू होते हैं। वह भी तब, जब पुलिस खुद ऐसे मामलों में कार्रवाई कर चालान के नाम पर लोगों मोटी राशि वसूलती है।
घर में नहीं जला चूल्हा
हकीकत यह है कि पशुपालक का परिवार पूरी तरह दो भैंसों के दूध से होने वाली आमदनी पर निर्भर है। ऐसे भैंस के मरने से परिवार में मातम छा गया। पशुपालक की मानें तो उसके पास एक अन्य भैंस है, जो कि बूढ़ी हो चुकी है, जिसकी दूध उत्पादन क्षमता कमजोर है। ऐसे में पशुपालक को परिवार के भरण पोषण की चिंता सता रही है। गमजदा परिवार में बुधवार को खाना नहीं बना यानी घर में चूल्हा नहीं जला।
मौका पर्चा के नाम पर दिलाशा
मरी हुई भैंस का मौका पर्चा बनाने पहुंची पुलिस ने पशुपालक परिवार की रोती हुई महिलाओं को उचित कार्रवाई का भरोसा दिलाया। उन्होंने सहयोग की राशि दिलाने की भी बात कही। लेकिन, किसी भी अन्य स्तर पर पीडि़त परिवार के सहयोग को लेकर कोई बात नहीं की गई।
गरीबी में आटा गीला
एक भैंस मर गई। परिवार का गुजारा कैसे होगा। इतनी राशि जुटाकर नई भैंस लाना भी मेरे लिए संभव नहीं है। पोस्टमार्टम के नाम पर पशु चिकित्सक ने भी मौके पर 5 सौ रुपए लिए। बाद में शेष राशि के 5 सौ रुपए कंपाउंडर के हाथ भिजवाने को कहा है।
पृथ्वीराज, पशुपालक
आरोप हैं बेबुनियाद
पोस्टमार्टम में भैंस के गर्भवती होने जैसा कुछ नहीं लगा। latest jail news मुर्रा नस्ल की बाजार कीमत 60-65 हजार रुपए है। पीडि़त परिवार से मैंने कोई रुपए नहीं लिए। आरोप बेबुनियाद हैं।
डॉ. सोमनाथ पाटनी, पशु चिकित्सा अधिकारी, मंगलवाड़
Published on:
19 Dec 2019 12:06 am
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