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 सलाम जिन्दगी: हर हाल में जीने की जिद, इतनी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद जयसमंद कैचमेंट एरिया के लोगों ने नहीं मानी हार 

इनकी पीड़ा यह है कि आज तक उन्हें 12000 रुपए का अनुदान प्राप्त नहीं हो पाया है।

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 Jaisamand catchment area

गींगला पसं. जयसमंद कैचमेंट एरिया में टापू से घिरी मैथूड़ी पंचायत को 1401 शौचालयों बनाने का लक्ष्य आवंटित होने से अभी तक ओडीएफ तो नहीं हुई लेकिन इन दोनों टापुओं में बसे परिवारों ने पानी आने से पूर्व ही घरों में शौचालय बनवा दिए। इनकी पीड़ा यह है कि आज तक उन्हें 12000 रुपए का अनुदान प्राप्त नहीं हो पाया है।

इसके लिए कई बार पंचायत से लेकर पंचायत समिति तक के चक्कर काट चुके हैं। टापू बनने के बाद कुछ परिवारों के शौचालय भी पानी से घिर गए हैं। टापू में जहां कम जमीन है और लोगों को कच्चे घरों पर डिश लगाना संभव नहीं है। यहां कई परिवार ऐसे देखे गये जिन्होंने शौचालय के पक्के निर्माण किए और उसकी छत के ऊपर या दीवार पर टीवी के लिए डिश लगा दी। ऐसे में शौचालय का दोहरा उपयोग होता दिखा।


रास्ते बंद लेकिन टापू पर मक्का
पायरी, भैंसों का नामला, मिंदोड़ा मंगरा टापूओं पर जाने वाले मार्ग पानी से घिर गए हैं और वाशिन्दों का सम्पर्क कट गया है। इस बीच मवेशी को चराई पर ले जाने लगे हैं तो कुछ दुधारू पशु अंदर ही बांध रखे हंै। जहां खेत और फसले पानी में डूबने से गल गई है। इधर, परिवारजन जलीय जंतु के डर के बीच जीने को मजबूर है। एक दो जगह चारा के बचाव के लिए कई तरह के जतन कर सुरिक्षत किया गया है।

नावें हैं आजीविका का सहारा
टापू वासियों के लिये प्रमुख आजीविका का साधन नावों में बैठकर मछली पकड़ कर उनका विक्रय करना है। निगम की ओर से इन्हें ये नावें उपलब्ध करवाई गई लेकिन सुरक्षा कवच जैसे कोई साधन नहीं। खाली समय में नावों को पशुओं क ी सुरक्षा के लिये भी काम में लाते दिखे। भैंसों का नामला गांव में एक हैण्डपंप खुदा हुआ है लेकिन इसके पाइप क्षतिग्रस्त है और परिवारजनों के लिये तो इन दिनों झील का पानी नसीब है।

आवास योजना सूची में नाम नहीं
भैंसों का नामला के 27 व पायरी के 32 सहित 57 परिवार टापू के बीच रह रहे हैं, जिनके घर कच्चे मिट्टी और पत्थर से बने हुए हैं और दीवार उधडऩे पर गोबर , मिटटी से पोत रहे हंै लेकिन कच्चे घरों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना की सूची में न तो नाम आया और न ही शामिल किया गया। कई परिवारजनों ने छप्पर केलू उडऩे के डर से केलुओं पर बड़े बड़े पत्थर रख रखे हैं। ये परिवार बीपीएल की चयनित सूची में भी दर्ज नहीं है ऐसे में सरकार की गरीबों के लिए कल्याणकारी योजना ठेंगा दिख रही है। ग्रामीणों का कहना है कि एक ओर सरकार कच्चे मकान के लिए आवास दे रही है लेकिन यहां सभी केलूपोश घर होने के बावजूद लाभ नहीं मिल रहा है। सर्वे कर आवास और चयनित सूची में नाम दर्ज करवाने की मांग की है।

यूसी जमा करवा दी है
सभी शौचालयों की यूसी सीसी जमा करवा दी है। आगे से भुगतान ऑनलाइन होगा। पीएम आवास सूची में दो परिवारों के काम चल रहे हैं। दूसरों के नाम नहीं है।
किशोर सिंह, सचिव, ग्राम पंचायत मैथूड़ी