
चंदनसिंह देवड़ा/उदयपुर.भारत विश्व में मैनेजमेंट गुरु रहा है। हमारी पौराणिक प्रबंधन पद्वति को फिर से अपनाने की जरुरत है। समय तेजी से डिजिटल हो रहा है ऐसे में रोजगार का स्वरुप बदल रहा है। हमने आज प्रबंधन शिक्षा में भविष्य की जरुरत को भांप कर संशोधन नहीं किया तो हम पिछड़ जाएंगे। यह बात सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के प्रबन्ध अध्ययन संकाय विभाग द्वारा आयोजित ’नये युग की प्रबन्ध शिक्षा-दृष्टिकोण-2025’ विषय पर अंतरर्राष्ट्रय संगोष्ठी के शुभारंभ समारेाह में मुख्य अतिथि के तौर पर स्कूल ऑफ टुरिज्म एण्ड सर्विस मेनेजमेन्ट के पूर्व निदेशष प्रो. कपिल कुमार ने कही। संगोष्ठी में प्रबन्धन शिक्षा से जूड़ी नवीन तकनीकों एवं शिक्षानीति पर विस्तृृत चर्चा की गई। इसमें मौजूद विभिन्न प्रतिभागियों ने अपने विचार व्यक्त किए। मुख्य वक्ता के रूप में आए प्रो. पी. कनगासभापथी ने कहा कि सन 1700 ईस्वीं में भारत की अर्थव्यवस्था पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था का 32 प्रतिशत थी। आज फिर से भारतीय अर्थव्यवस्था में महिलाओं के अप्रत्यक्ष भूमिका पर जोर देने की जरुरत बताते हुए ऐसे उद्यमों की स्थापना और उन्हे मदद करने का प्रयास होना चाहिए। एमडीआई के पूर्व निदेशक प्रो सीपी श्रीमाली ने भारतीय प्रबन्ध शिक्षा के सन्दर्भ में कम्प्यूटिंग सिस्टम तथा कम्युनिकेशन टेक्नोलाजी व्यवसाय करने के आधुनिक तरीकों को उदाहरण पर बात की। संकाय के निदेशक प्रो. अनिल कोठारी ने बताया कि दो दिवसीय संगोष्ठी ने बताया कि तकनीकी सत्र में 4 पत्रों का वाचन हुआ। प्रो. हनुमान प्रसाद ने बताया कि चार सत्रों में कई पत्रों का वाचन किया गया। कार्यशाला में पिथाडिया फाउन्डेशन, यूनाईटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका के चैयरमैन दिलीप पिथाडिय़ा भी मोजूद रहे।
Published on:
30 Nov 2019 03:37 pm
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