
चंदनसिंह देवड़ा/उदयपुर.भाजपा छठा बोर्ड बनाने में कामयाब तो हो गई लेकिन उसकी ताकत 49 से खिसक कर 44 सीटों पर आ गई। कांग्रेस की ताकत 3 से 20 हो गई वहीं बागी होकर निर्दलीय चुनाव लडऩे वालों ने भी अपना जोर दिखा दिया। भाजपा बोर्ड के कामकाज को लेकर जनता का जो गुस्सा था उसी का आलम रहा की महापौर चंद्रसिंह कोठारी अपने वार्ड-4 में और उप महापौर लोकेश द्विवेदी अपने वार्ड 50 में भी भाजपा के प्रत्याशियों को जीत नहीं दिला सके। कटारिया के समधी और अंबेडकर मंडल अध्यक्ष अतुल चंडालिया वार्ड 3 में, पार्टी के प्रवक्ता रहे और श्यामाप्रसाद मुखर्जी मंडल की कमान संभालने वाले चचंल अग्रवाल वार्ड 50 से चुनाव हार गए। भाजयुमो के पूर्व जिलाध्यक्ष अनिल कुमावत, पूर्व मंडल अध्यक्ष राजेश वैष्णव, युवामोर्चा उपाध्यक्ष जितेन्द्र मारु के चुनाव हार जाने की सबसे ज्यादा चर्चा रही। ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा भी अपने वार्ड में पार्टी प्रत्याशी की नैया पार नहीं लगवा सके। इधर कांग्रेस में ब्लॉक अध्यक्ष फतहसिंह राठौड़, पूर्व विधायक त्रिलोक पूर्बिया का भतीजा महेन्द्र पूर्बिया, शहर महिला कांग्र्रेस की अध्यक्ष नजमा मेवाफरोश, चंदा सुहालका, शांता प्रिंस, पूर्व में पार्षद रहे मनीष श्रीमाली, पूर्व पार्षद गीता पालीवाल, ओबीसी प्रकोष्ठ अध्यख राजेश दया जैसे चेहरों को जनता ने स्वीकार नहीं किया और यह चुनावी मैदान में चित हो गए।
इन दिग्गजों की जीत रखती है मायने
इस चुनाव में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष ताराचंद जैन, महापौर के दावेदार गोविंदसिंह टांक,भाजपा बोर्ड में निर्माण समिति अध्यक्ष पारस सिंघवी, विद्युत समिति अध्यक्ष महेश त्रिवेद्धी, आपदा समिति अध्यक्ष वेणीराम सालवी, मंडल अध्यक्ष मनोहर चौधरी की जीत सियासी मजबूती के मायने रखती है। वहीं कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष की दौड में सबसे आगे अरुण टांक, शहर जिलाध्यक्ष गोपालशर्मा की पुत्रवधु हितांक्षी शर्मा, वार्ड 29 में लगातार तीन बार जीत हासिल करने वाले लोकेश गौड़ की जीत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
Published on:
20 Nov 2019 02:01 pm
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