
चंदनसिंह देवड़ा/उदयपुर.शहर की सरकार बनाने में जनता ने जिस कसावट के साथ फैसला किया है वह मतगणना के बाद सभी के सामने आ गया। राजीतिक पंडितों को जिस तरह के परिणाम की उम्मीद थी वहीं हुआ। लोकतंत्र के लिए मजबूत विपक्ष जरुरी होता है जो 25 साल बाद उदयपुर नगर निगम बोर्ड में मिला है। इस बार कांग्रेस 20 और 6 निर्दलीय व अन्य मिलाकर 26 पार्षद विपक्ष में होगें जबकि बोर्ड बनाने वाली भाजपा के खेमे में 44 पार्षद है। इस परिणाम ने दोनों पार्टियों के लिए सियायी मायने तय कर दिए है।
भाजपा सोचने पर मजबूर,कम सही लेकिन गढ़ में लगी सेंध:-
परिसिमन में 55 से 70 वार्ड होने पर भाजपा के नेता दावा कर रहे थे की स्मार्ट सिटी और विकास के कामों के बदोलत भाजपा अबकी बार 55 पार जाएगी लेकिन जनता ने सडक़, सीवरेज के बेतरतीब कामों से परेशान होकर भाजपा को गत चुनाव के मुकाबले 5 सीटों का घाटा देकर 44 पर ला पटका। मेवाड़ के कदवर नेता गुलाबचंद कटारिया के नेतृत्व में पार्टी का यह परिणाम संभाग के दूसरे निकायों की तुलना में संतोषजनक तो रहा लेकिन सीटे घटने पर मायूसी का आलम पसर गया। भाजपा अब तक मानती आ रही थी की उसके गढ़ में सेंधमारी मुश्किल है लेकिन परिणामों ने सोचने पर मजबूर कर दिया। इस बार चुनावी माहोल में भाजपा नुकसान का जिम्मेदार महापौर को मानकर उन्हे प्रचार तक से दूर रखे हुए थी लेकिन जनता ने जवाब दे दिया। पार्टी के दिग्गज माने जाने वालों को जनता ने धूल चटा दी। अब भाजपा के सामने मजबूत विपक्ष है वहीं महापौर भी ऐसा देना है जो सर्वमान्य व्यक्ति हो। इस परिणाम के बाद पार्टी ने मंथन शुरु कर दिया है।
कांग्रेस ने माना अभेद्य ने भाजपा का किला,भविष्य के लिए सुनहरा मौका:-
इस परिणाम को उदयपुर शहर में मृतप्राय हो चुकी कांग्रेस को संजीवनी देने का काम किया है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की गिरिजा व्यास ने कटारिया को कांटे की टक्कर दी थी लेकिन जीत नहीं मिली। निगम चुनाव में कांग्रेस ने सोच समझकर टिकट दिए लेकिन थोड़ी सी ओर समझदारी दिखाई होती तो कांग्रेस की सीटें 20 से ज्यादा भी हो सकती थी। फिर भी यह परिणाम मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने और शहर में कांग्रेस को नए सिरे से खड़ा करने के लिए काफी साबित हो सकता है। इस परिणाम से कांग्रेस को यह लग रहा है कि वह भाजपा को हरा सकती है यह किला कोई अभेद्य नहीं है। निगम की राजनीति में अब तक भाजपा एक तरफा चलती रही लेकिन अब कांग्रेस जनता की आवाज बनने का काम कर अपनी छाप जनता में छोड़ सकती है। जनता ने विकल्प के तौर पर मौका दिया है। कांग्रेसी पूरी कोशिश में रहेगी की वह इसे भुनाए। कांग्रेस के जो पार्षद जीते है उनमें अनुभवी कम है लेकिन युवा ज्यादा है। यह पार्टी के लिए नई राजनीतिक जमीन तैयार कर सकते है।
Published on:
20 Nov 2019 01:55 pm
बड़ी खबरें
View Allउदयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
