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अलविदा 2017 : चहुंओर नजर आई नए साल के स्वागत की खुमारी, शाम बीती मस्तानी, रात गुजरी सुहानी

-शहरवासियों संग लेकसिटी में नए साल की खुशियां बांटने आए सैलानियों ने वर्ष 2017 को खासे धूम-धड़ाके से विदा किया।

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उदयपुर . शहरवासियों संग लेकसिटी में नए साल की खुशियां बांटने आए सैलानियों ने वर्ष 2017 को खासे धूम-धड़ाके से विदा किया। गौरतलब है कि देश-दुनिया में नववर्ष का जश्न मनाने के लिए होटल-रिसोर्ट-मॉल्स सहित घर-गली मोहल्लों में विशेष इंतजाम किए गए। कहीं थीम बेस्ड पार्टियां हुईं तो कई जगह लकदक रोशनी और तेज बजते डीजे पर नौजवानों संग कपल्स नाचते झूमते देखे गए।

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इस दौरान खाने-पीने के शौकीनों की तो जैसे मन मांगी मुराद पूरी हुई। मौका भी था और दस्तूर भी..एेसे में ज्यों-ज्यों शाम ढली और रात गहराई हर जगह महफिलें खुद ब खुद जवान होती गईं। यंू तो आमतौर पर परिजनों और अजीज मित्रों संग लोगों ने नॉन अल्कोहलिक और प्योर वेज पार्टीज पसंद की लेकिन, कुछ जगह सेलिब्रेशन के बहाने लोगों गला तर करने से गुरेज नहीं किया।

कहीं आयोजन स्थलों पर वेलकम बैंड और लाइव परफॉरर्मेंस के अलावा गाला थीम बेस्ड स्वागत के दस्तूर देखे गए, तो कहीं सर्द रात में लाइव फूड काउण्टर पर खाने के मुरीद जमे नजर आए। ज्यों ही घड़ी की सुइयों ने बारह बजाए यकायक संगीत थम गया, कुछ पल बत्तियां गुल हुई और फिर रोशनी होते ही एक-दूजे को हाथ मिलाकर तथा गले मिलकर नए साल की बधाई दी।

मनपसंद स्थानों पर बिताई शाम
इधर, देस-दुनिया से लेकसिटी आए सैकड़ों पर्यटकों ने अपने परिवार संग सिटी पैलेस , सज्जनगढ़, फतहसागर, बड़ी लेक, करणीमाता, गणगौर घाट, सहेलियों की बाड़ी जैसे मनोरम स्थलों पर नव वर्ष पूर्व शाम बिताई। कुछ लोगों ने होटल-रेस्टोरेंट की भीड़भाड़ से दूर स्ट्रीट फूड का लुत्फ भी उठाया।

सडक़ों पर रही विशेष निगाहें
नए साल के जोश और जुनून में होश खोकर वाहन चलाने वालों पर यातायात और पुलिस विभाग ने विशेष नजर बनाए रखी। सभी प्रमुख मार्गों, चौराहों और होटल-रेस्टोरेंट के बाहर प्रशासन की मुस्तैद नजरें हर पल लगी रहीं। कुछ जगह तेज रफ्तार वाहनों और संदिग्ध वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई।

वंचितों व निराश्रितों संग बांटी खुशियां
साल के आखिरी दिन एेसे भी कुछ लोग थे जिन्हें कुछ नया करने का जुनून था उन लोगों ने कच्ची बस्तियों और फुटपाथ किनारे जीवन बसर करने वालों के बीच कुछ लम्हें बिताए। अपनी संचित राशि में से उनके लिए राशन, कपड़े और अन्य जरूरत की सामग्री खरीदकर बांटी। उनका मानना था कि जीवन की असली खुशियां तो यही हैं, जब अपने साथ और सभी खुश हों। शहर में कुछ लोगों ने नए साल की अंतिम शाम देवालयों पर जाकर दर्शन किए। उन्होंने देश में अमन-चैन और खुशहाली की प्रार्थना भी कीं।