
प्रशांत डोडिया/ उदयपुर . ज्ञान की प्राप्ति का सर्वोत्तम स्थान है पुस्तकालय। इसके शांत वातावरण में अध्ययन लीन होकर कोई भी व्यक्ति ज्ञान-विज्ञान के समंदर में गोते लगाते हुए एक योग्य नागरिक बन सकता है। वहीं ये अध्ययन की अभिरुचि रखने वालों के लिए बेहतरीन स्थान है। प्राचीन दुर्लभ ग्रन्थों की प्राप्ति पुस्तकालयों में ही संभव है। यूं तो शहर में कई पुस्तकालय हैं मगर जगदीश चौक स्थित सार्वजनिक पुस्तकालय अपने आप में विलक्षण है। छह दशक पुराने इस पुस्तकालय में करीब 70 हजार पुस्तकें हैं और इसके 1100 सदस्य हैं। यह स्कूल-कॉलेज में अध्ययनरत विद्यार्थियों से लेकर ज्ञान मार्ग पर चल रहे बुजुर्गों तक के लिए काफी उपयोगी साबित हो रहा है।
प्रतियोगिता परीक्षाओं एवं व्यावसायिक पाठ्यक्रम की तैयारी करने वाले के लिए भी मददगार है। इसमें एवं इसकी मदद से अध्ययन कर कई चिकित्सक, इंजीनियर्स, चार्टेर्ड अकाउटेंट बने। इस पुस्तकालय से जुड़े रहे वालों में से वर्तमान में 13 आरएएस व 3 आईपीएस अधिकारी के रूप में सेवा दे रहे हैं। आसींद की हवेली में संचालित इस पुस्तकालय में हिंदी-अग्रेजी के अलावा कई क्षेत्रीय एवं विदेशी भाषा की पुस्तकें हैं। शहरवासियों के अलावा विदेशी पर्यटक भी पढऩे के लिए आते हैं। पुस्तकालय पूर्णतया कम्प्यूटरीकृत हो चुका है जिससे सभी किताबों का ब्योरा दर्ज है। किसी सदस्य के समय पर पुस्तक नहीं लौटाने पर एसएमएस के जरिए उसे सूचना पहुंच सकती है, लेकिन ऑपरेटर नहीं होने पर यह सुविधा शुरू नहीं हो पाई।
आते हैं स्कूली विद्यार्थी से लेकर शोधार्थी
पुस्तकालय में स्कूल व कॉलेज के विभिन्न संकायों के विद्यार्थियों के साथ ही शोधार्थी आते हैं। विभिन्न विषयों पर प्रोजेक्ट बनाने के लिए स्कूली बच्चे भी आते हैं क्योंकि उन्हें विषय के मुताबिक सामग्री व फोटो मिल जाते हैं। पुस्तकालय में संदर्भ कक्ष बनाया हुआ है जिसमें प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी एवं रिसर्च करने वाले बैठते हैं।
परीक्षा हो या कॉलेज शिक्षा सभी पुस्तकें उपलब्ध
पुस्तकालय का वातावरण पूर्ण शांत रहने से पढ़ाई का माहौल बनता था। गु्रप में किसी विषय को लेकर चर्चा कर सकते थे। विषय संबधित पुस्तक मिल जाती थी। प्रतियोगिता परीक्षा हो या कॉलेज शिक्षा सभी पुस्तकें पुस्तकालय में मिल सकती हैं।
अनुज भटनागर, राज्य कर अधिकारी, वाणिज्य कर विभाग
देश व विदेश के लोग आते हैं यहां
सार्वजनिक उपयोग के लिए पहला ऐसा पुस्तकालय है। पाठकों की संख्या भले ही इंटरनेट के कारण कम हो सकती है लेकिन उससे ज्यादा जानकारी पुस्तकों में ही मिलती है। यही कारण है कि केवल उदयपुर ही नहीं संभाग, प्रदेश, देश व विदेश के लोग आते हैं।
भगवत सिंह राव पुस्तकालयाध्यक्ष नगर निगम
Published on:
30 Aug 2017 08:11 pm
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