12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

 तीन साल बाद खूंटे से आजाद हुआ उमेश, पत्रिका में खबर के बाद अब ऐसे हुआ इलाज मुमकिन 

माता-पिता की मौत के बाद तीन साल से मवेशियों के बीच बाड़े में बंधे आठ साल के उमेश को आखिरकार खूंटे से मुक्ति मिल ही गई।

2 min read
Google source verification

फलासिया. माता-पिता की मौत के बाद तीन साल से मवेशियों के बीच बाड़े में बंधे आठ साल के उमेश को आखिरकार खूंटे से मुक्ति मिल ही गई। बाल अधिकार आयोग, बाल अधिकारिता विभाग और स्वयंसेवी संस्थाओं ने उसकी सुध ली है। उदयपुर में बच्चे का नि:शुल्क उपचार होगा।


उमेश और उसके दादा-दादी को यह राहत राजस्थान पत्रिका की खबर पर मिली है। सोमवार के अंक में समाचार देख बाल अधिकार आयोग अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी के निर्देश पर समाज कल्याण उपनिदेशक मीना शर्मा, बाल कल्याण समिति सदस्य हरीश पालीवाल व क्षेत्र की संस्थाओं के प्रतिनिधि कोल्यारी पहुंचे। आसरा विकास संस्थान के भोजराजसिंह राठौड़ व फलासिया थाने से एएसआई सत्यनारायण भी साथ थे।

READ MORE: नन्हेे उमेश की कहानी सुन हो जाएंगी आंखें नम..पहले एचआईवी ने मां-बाप छीने, अब तीन साल से बंधा है खूंटे पर

सबने बच्चे की हालत गंभीर मानी। कागजी औपचारिकताओं के बाद उमेश को इलाज के लिए नारायण सेवा संस्थान को सौंप दिया गया। हालांकि पोते को दूर होते देख एकबारगी उसकी दादी ने विरोध किया, फिर समझाने पर वह राजी हो गई। इधर, बाल कल्याण समिति ने भी संज्ञान लिया। अध्यक्ष डॉ. प्रीति जैन ने बताया कि उमेश की बेहतरी के लिए जो भी जरूरी होगा, वह किया जाएगा।


टीम ने माना कि बदतर हालात में था बच्चा

टीम ने माना कि बच्चे की हालत बेहद खराब थी। वह देख-सुन पाने में तो अक्षम था ही, एक हाथ भी जख्मी था। जिस जगह वह बंधा था, उसके पास ही करीब 8 फीट का गड्ढा भी था। स्थिति बच्चे की सुरक्षा के लिहाज से प्रतिकूल थी। टीम की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई कर उमेश को बाल संरक्षक समिति के सुपुर्द किया गया। समिति ने उसे हाथोंहाथ नारायण सेवा संस्थान के प्रतिनिधि रमेशकुमार को सौंप इलाज और देखभाल के निर्देश दिए।

पोते को नजरों से दूर होते देख दादी पेपीबाई एकबारगी विरोध करने लगी। उसे उमेश के साथ अनहोनी की आशंका थी। लेकिन टीम और आसपास के लोगों के समझाने पर वह शांत हो गई। उदयपुर ले जाने के लिए उमेश को तैयार किया गया था। उसे नए कपड़ों में देख अच्छे इलाज की आस में दादी की आंखें भर आईं। दूसरी ओर, आसपास के लोगों में बच्चे को देखकर खुशी थी, जिन्होंने टीम के सदस्यों समेत उमेश को जुलूस के रूप में विदा किया।

इस बीच उदयपुर स्थित अलख नयन मंदिर की ओर से भी उमेश के उपचार की पेशकश की गई है। अलख नयन के लक्ष्मणसिंह झाला ने बताया कि वह उमेश की आंखों का नि:शुल्क उपचार करवाने को तैयार हैं।