
उदयपुर . बड़ा दिन और शीतकालीन अवकाश के अलावा नए साल का जश्न मनाने देश-विदेश के हजारों सैलानी लेकसिटी के मेहमान बन चुके हैं। मौसम की खुशगवार रंगत और झीलों में ठहरे नीले पानी के अलावा चहुंओर आच्छादित अरावली उपत्यकाएं हर किसी को बरबस यहां खींच लाती हैं। साल के अंत में इन सैलानियों को दस दिन चलने वाले लोक शिल्प के उत्सव सहित नए आयोजन पुष्प प्रदर्शनी का आकर्षण विशेष आनंद देता है।
सोमवार को क्रिसमस की छुट्टी का शहरवासियों सहित पर्यटकों ने भरपूर लुत्फ उठाया। ऐसे में टूरिस्ट सिटी के मेहमानों ने जब शहर की राहें नापीं तो एक बारगी लगा जैसे हर राह बाधित हो गई हो। बाजार हो या पर्यटन स्थल या फिर शिल्पग्राम का मेला प्रांगण हर जगह वाहनों और पर्यटकों की रेलमपेल देखी गईं। इधर, शिल्पग्राम उत्सव में सोमवार को मुक्ताकाशी रंगमंच का स्वरूप बदला गया।
कोलकाता के कलाकारों की ओर से लकड़ी, थर्माकोल और कपड़े से बनाई गई तबला जोड़ी, ढोल, बांसुरी आदि नायाब शिल्पकृतियों ने मंच को और अधिक निखार दिया। उसी निखरे-संवरे कलांगन पर हिमाचल के ‘सिरमौरी नाटी’ और ओडीशा के कलाकारों के शंख वादन ने दर्शकों में ऊर्जा का संचरण किया। लोक कलाकारों ने एक सुर में शंख वादन एवं विभिन्न प्रकार के पिरामिड और रोप मलखम्भ पर करिश्माई करतबों ने हर एक को अभिभूत कर दिया।
उत्सव की पांचवीं सर्द शाम का आगाज गोवा के शौर्य प्रधान नृत्य ‘घोड़े मोडनी’ से हुआ। इसके बाद कश्मीरी ‘रौफ ’, मणिपुरी ‘मेयबी’ एवं मराठी ‘लावणी’ ने अपना अलग रंग जमाया। कार्यक्रम समाप्ति के बाद मेलार्थियों ने हाट बाजार में शिल्प उत्पादों की खरीदारी की, वहीं परिजनों-मित्रों संग फूड बाजार में खाने-पीने का आनंद उठाया।
Published on:
26 Dec 2017 03:30 pm
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