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तो क्या दौड़कर दूर करेंगे ये खतरे की गंदगी

- मिलावटखोरों को पकडऩे के लिए संभाग में एक ही मोबाइल रथ वह भी पंगू - फूड सेफ्टी के लिए संभाग के पास केवल एक ही स्पॉट टेस्ट लैब वेन - पीछे लगा है दो की जगह केवल एक ही पहिया, इसलिए गति बेहद कम

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तो क्या दौड़कर दूर करेंगे ये खतरे की गंदगी

तो क्या दौड़कर दूर करेंगे ये खतरे की गंदगी

भुवनेश पंड्या

उदयपुर मिलावटखोरों का गिरेबान पकडऩे के लिए उदयपुर संभाग के हाल बेहद चिंताजनक हैं। पूरे संभाग में केवल एक ही स्पॉट टेस्ट वेन लैब है। वह भी ऐसी है कि उसे तेज गति से नहीं चलाया जा सकता तो माकूल टेक्नीशियन की भी कमी है, जो ज्यादा से ज्यादा टेस्ट कर सके। इसे तेज गति से इसलिए नहंी चलाया जा सकता क्योंकि इसके पीछे दो-दो की जगह एक-एक पहिया लगा हुआ है। ऐसे में यदि इसे तेज गति से चलाते हैं तो पलटने का डर रहता है।

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संभाग में छह जिले लेकिन अब तक केवल उदयपुर और राजसमन्द तक ही सीमित उदयपुर संभाग में छह जिले हैं, लेकिन वेन अब तक केवल उदयपुर में ही चल रही है, जबकि राजसमन्द में एक दिन के लिए भेजा गया था। इस स्थिति में जितने स्पॉट टेस्ट होने चाहिए इतने हो नहीं रहे। शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के लिए इसे केन्द्र सरकार की एजेंसी फूड सेफ्टी ऑन विल्स वाहन को फूड सेफ्टी एंड स्टेडर्ड ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ने कुछ माह पूर्व संभाग को भेजीी है। पहले कुछ छोटी वेन रसद विभाग के माध्यम से चलती थी, लेकिन वह आउटडेटेड होने के कारण बंद कर दी गई।

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ये होते हैं टेस्ट: इस वेन में ये-ये टेस्ट होते हैं।

- डिजिटल टोटल पोलर कंपाउंड डिडेक्टर रोड- इस मशीन में सेंसर लगा हैं। 25 प्रतिशत से अधिक पोलर बता देंगे। यदि किसी तेल को हलवाई में ज्यादा बार इस्तेमाल किया है तो सामने आ जाएगा कि तेल फेकने लायक है, एसिड वेल्यू भी नजर आ जाती है।

- रिफ्लेक्टोमीटर- शुगर प्रतिशत देखने के लिए। यानी किसी भी तरल में यदि कुछ घुला हुआ है तो इसका प्रतिशत सामने आ जाएगा।

- हेंड टीडीएस मीटर- इलैक्ट्रोकन्डक्टिविटी, टीडीएस और पीएच नापने के काम आता है।

- नियोजन- एफ्लाटोक्सीन की जांच की जा सकती है, साथ ही एंटीबायटिक का कितना इस्तेमाल है, यह जानकारी मिल जाती है।

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यह भी हो जाता है टेस्ट स्पॉट टेस्ट के लिए मावे या स्टार्च, मिठाई व मावे में मैदा मिलाया हो या, कार्बोनेट मिलाया हो तो टेस्ट हो जाता है, सोडा मिलाया हो तो सामने आ जाता है साथ ही ज्यूस में चीनी का प्रतिशत पता चल जाता है।

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चलाने वाले प्रशिक्षित जितनी संख्या में चाहिए उतने टेक्नीशियन हमारे पास नहीं है, फिर भी हम पूरा प्रयास कर रहे है कि बेहतर कर सके। इसमें सीनियर टेक्नीशियन लगाए गए हैं। फिलहाल संभाग में केवल एक ही लैब है।

रवि सेठी, फूड एनालिस्ट उदयपुर

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50 से अधिक गति से तेज नहीं चला सकते इस वेन को। इसके पीछे एक-एक टायर होने से तेज चलाने की कोशिश में पूरी गाड़ी में कंपन होता है, ऐसा लगता है जैसे ये पलट जाएगी, इसमें पीछे दो-दो पहिये होने जरूरी हैं।

करणसिंह, चालक फूड सेफ्टी वेन