
बड़गांव का नजारा
राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी गई है। लेकिन सरकार की ओर से निकायों के परिसीमन को लेकर अब तक कोई हलचल नहीं है। यदि उदयपुर नगर निगम सीमा विस्तार के पिछले 12 साल से फाइलों में बंद प्रस्तावों पर जल्द अमल नहीं हुआ तो एक बार फिर से शहरीकृत हो चुके गांवों को अपनी गांव वाली पहचान के साथ रहना होगा। इन इलाकों के लोगों तमाम तरह की परेशानियां झेलनी होगी सो अलग।जानकारों का कहना है कि उदयपुर प्रदेश का संभवत: एकमात्र ऐसा शहर होगा, जिससे आधे से अधिक हिस्सा गांवों की पहचान लिए हुए हैं। जनप्रतिनिधियों की निष्कि्यता एवं प्रशासन की अनदेखी के चलते वर्ष 2012 से फाइलों में रेंग रहे नगर निगम सीमा विस्तार के प्रस्ताव अमल में नहीं आ पाए हैं। नतीजा यह है कि शोभागपुरा, भुवाणा, सुखेर, सविना, देबारी, तितरड़ी, बलीचा, बेदला, बड़ी, बड़गांव समेत करीब दो दर्जन ग्राम पंचायतों के गांव शहरीकृत हो जाने के बावजूद राजस्व रेकॉर्ड में गांव ही कहला रहे हैं। यहां नगर निगम के बजाय ग्राम पंचायतों के पंच और सरपंच चुने जा रहे हैं। हैरत की बात यह है कि जिम्मेदार इस विसंगती को दूर करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। जबकि इन ग्राम पंचायतों के सरपंच भी जिला कलक्टर को यह लिखकर दे चुके कि उनकी पंचायतों के गांवों को नगर निगम सीमा में शामिल किया जाए। लोगों के बीच भाजपा-कांग्रेस सहित राजनीतिक दलों की इस मुद्दे को लेकर निष्कि्र्रयता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
दरअसल, उदयपुर नगर निगम की ओर से वर्ष 2012 में राज्य सरकार को शहरी सीमा विस्तार के प्रस्ताव भिजवाए गए थे। इनमें 34 राजस्व गांवों को निगम सीमा में शामिल किया जाना था। ये प्रस्ताव पिछले 12 साल से फाइलों के बाहर नहीं निकल पाए हैं। सरकारी कार्यालयाें में चिट्ठी पत्रियां घूम रही है। सवाल पूछे जा रहे हैं, जवाब दिए जा रहे हैं, लेकिन सीमाओं में बदलाव पर फैसला नहीं हो रहा है। बता दें कि उदयपुर नगर निगम की सीमा का विस्तार अंतिम बार 1969 में हुआ था। तब गोवर्धन विलास व प्रताप नगर सहित कुछ हिस्से शहर में शामिल किए गए थे। यानी 55 वर्ष से शहर की सीमा का विस्तार नहीं हुआ है।
1. बड़गांव
2. हवाला खुर्द
3. हवाला कला
4. सीसारमा
5. देवाली (गोवर्धन विलास)6. बलीचा7. सवीना खेड़ा
8. जागी तालाब
9. नेला
10. तितरड़ी
11. धोल की वाड़ी
12. गुश्वर मगरी
13. बिलियां
14. फांदा
15. मनवा खेड़ा
16. एकलिंगपुरा
17. कलड़वास
18 . कानपुर19. बेड़वास
20. देबारी
21. झरनों की सराय
22. धोली मगरी
23. रकमपुरा
24. रेबारियों का गुढ़ा
25. रघुनाथपुरा
26. रूपनगर
27. आयड़ ग्रामीण
28. शोभागपुरा
29. देवाली (फतहपुरा)
30. भुवाणा
31. सुखेर
32. सापेटिया
33. बेदला खुर्द
34. बेदला
वाकई शहरीकृत इलाकों में पंचायतीराज के चुनाव होना बड़ी विसंगती है। हमने इस मुद्दे को संगठन के स्तर पर उठाया भी है। प्रयास करेंगे कि आगामी निगम चुनाव से पहले इस मामले में सकारात्मक परिणाम आएं।
- चंद्रगुप्त सिंह चौहान, जिलाध्यक्ष देहात भाजपा
विकसित इलाकों को नगर निगम में शामिल नहीं किए जाने से लोगों को कई परेशानियां झलनी पड़ रही है। पंचायतीराज के जनप्रतिनिधियों के अधिकार भी सीमित हो गए हैं। इस मामले में सरकार को जल्द फैसला कर परिसीमन प्रक्रिया को अमलीजामा पहनाया जाना चाहिए।
- कचरू लाल चौधरी, जिलाध्यक्ष देहात कांग्रेस
Published on:
20 Nov 2024 11:40 am
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