Dr. Karan Singh Interview: राजनीति में पैसे का बोलबाला हो गया है, आम आदमी तो चुनाव लड़ने की सोच भी नहीं सकता।
उदयपुर। जम्मू कश्मीर पूर्व रिसायत के सदस्य और कांग्रेस कैबिनेट में विभिन्न पदों पर रहे पद्म विभूषण डॉ. कर्ण सिंह का कहना है कि धारा 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर के लोगों में व्यवहारगत परिवर्तन आया है। अधिकांश यह स्वीकार कर चुके है कि अब यह दोबारा आने वाली नहीं।
उन्होंने राजनीति में सुचिता को जरूरी बताते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों को अपनी कोई भी बात बड़ी जिम्मेदारी से सार्वजनिक करनी चाहिए। महाराणा सांगा पर विवादित बयान की भी उन्होंने कड़ी निंदा की। दो दिवसीय प्रवास पर उदयपुर आए डॉ. सिंह ने पत्रिका से एक्सक्लूसिव बातचीत की। उन्होंने कई मुद्दों पर सवालों के जवाब दिए। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश...
A. आप पत्रकार है वहां जाकर पूछिए(हंसते हुए)। सब लोग प्रसन्न नहीं है। लेकिन अब अधिकांश ने मान लिया है कि 370 दोबारा नहीं आने वाली। जम्मू में तो लोगों ने स्वागत किया था। कश्मीर में कुछ विरोध था। अब बाहर से ज्यादा विरोध नहीं है। आंतरिक बदलाव हुआ या नहीं यह तो मैं नहीं कह सकता, व्यवहार में जरूर परिवर्तन आया है।
A. प्रजातंत्र में अच्छाइयां बहुत है। चुनाव हो रहे हैं। देश संविधान से चल रहा। हमें प्रजातंत्र को गंवाना नहीं है। यूरोप, अफ्रीका, बांग्लादेश जैसे देशों में देखिए, कहीं शांति नहीं है। इनके मुकाबले भारत मजबूती से टिका हुआ है। भारत की मजबूती से विश्व को भी लाभ है।
A. क्या बात कह रहे हैं! कोई किस मुंह से ऐसी बात कह सकता है। मैं आश्चर्यचकित हूं। यह कहना अभद्र है। इसकी घोर निंदा करता हूं। राणा सांगा का इतिहास कौन नहीं जानता। राजनीति में किसी को भी अपनी बात बहुत जिम्मेदारी से कहनी चाहिए।
A. मैं अब कांग्रेस में सक्रिय नहीं हूं। इसलिए मेरा सुझाव देना ठीक नहीं। मेरा मानना है कि विरोधी पक्ष सशक्त होना चाहिए। इससे सरकार को भी लाभ होता है। वह सतर्क रहती है। कांग्रेस की स्थिति पहले से सुधरी है। खासतौर से राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा से फर्क पड़ा है। फिर भी कांग्रेस को अभी बहुत ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है।
A.राजनीति में पैसे का बोलबाला हो गया है। टिकट के लिए करोड़ों खर्च करने पड़ते हैं। आम आदमी तो चुनाव लड़ने की सोच भी नहीं सकता। भाषा का प्रयोग भी स्तरहीन हो गया है। प्रजातांत्रिक मूल्यों के लिए यह अच्छा नहीं है। दोनों पक्षों को अपना स्तर बनाकर रखना चाहिए। अब तो राजनेता गाली-गलौज पर उतर आते हैं। सदन में चर्चा की बजाय बवाल ज्यादा होता है। यह लोकतांत्रिक परम्परा के लिए सही नहीं।
A. चुनाव के समय बात उठी थी। खतरा है या नहीं, मैं नहीं कह सकता। लोगों को ऐसा डर है। लेकिन अभी तक ऐसा कुछ दिखा या हुआ नहीं। मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि हमारे लोकतंत्र पर कोई खतरा नहीं। हमारे संविधान की विशेषता है कि इसमें जरूरत पड़ने पर संशोधन किया जा सकता है।
A. युवा योग्य बनें और देश को मजबूत बनाएं। हिंसा, घृणा और उन्मादी विचारों से खुद को दूर रखें। शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों जैसे तंबाकू, शराब इत्यादि से भी दूरी बनाए रखें। एक और खास बात बाह्य जीवन के साथ-साथ युवाओं को अपने आंतरिक जीवन को सुंदर बनाने के लिए भी निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए।
A. एक ही चुनौती है गरीबी। जब तक गरीबी रहेगी, तब तक हम उस गति से आगे नहीं बढ़ पाएंगे, जितना हमें बढ़ना चाहिए। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर नरेन्द्र मोदी तक ने गरीबी को मिटाने का लक्ष्य रखा, लेकिन अभी गरीबी पूरी तरह से मिटी नहीं। इसके लिए सटीक रणनीति के साथ प्रयासों की आवश्यकता है।