
sanjay chaukde
उज्जैन. जिस उम्र में कई बुजुर्ग घर में रहकर आराम करना पसंद करते हैं और परिवार के साथ वक्त बिताना पसंद करते हैं, वहीं कुछ बुजुर्ग एेसे भी हैं, जो उम्र के अपने दूसरे पड़ाव में कुछ नया करने की कोशिश करते हैं। एेसे ही दो व्यक्ति अपनी उम्र के दूसरे पड़ाव में सुरों की राह पर चल पड़े हैं। इनमें से एक सेवानिवृत्त होकर न सिर्फ बच्चों को इंग्लिश की कोचिंग दे रहे हैं, बल्कि सिंथेसाइजर पर अपनी अंगुलियां भी चला रहे हैं। वहीं दूसरे शासकीय सेवा करते हुए प्रतिदिन क्लास जाकर गायन का अभ्यास कर रहे हैं।
पत्नी ने किया प्रेरित
आयकर विभाग में कार्यरत संजय चौकड़े ५४ वर्ष के हो चुके हैं। परिवार में एक बेटा और पत्नी है। परिवार की सभी जिम्मेदारी को निभाकर संजय अब गायन सीख रहे हैं। संजय का कहना है कि यूं तो बचपन से ही रुचि थी और संगीत सीखने के शौकीन रहे हैं। घर में कभी-कभी गीतों को सुनते हुए गुनगुना भी लेते थे। एक बार घर में एक परिचित आए थे और उनसे पता चला कि वे गायन सीख रहे हैं। उसके बाद उन्हें शर्मा बंधु एकेडमी के बारे में पता चला क्योंकि उनके परिचित भी एसी एकेडमी पर गायन सीख रहे थे। उनकी पत्नी ने उन्हें संगीत सीखने के लिए प्रेरित किया और फिर उन्होंने क्लास में प्रवेश लिया। दो माह से वे प्रतिदिन यहां गायन सीखने के लिए आ रहे हैं। उनका कहना है कि उम्र के इस पड़ाव पर सीखने की चाह है इस कारण मन में कोई हिचकिचाहट नहीं होती है। उनका प्रयास है कि यहां से गायन सीखने के बाद यदि उन्हें कोई मंच मिलता है तो वे वहां अपनी कला की प्रस्तुति भी देंगे। सितंबर में हिंदी सप्ताह के दौरान विभागीय कार्यक्रम में ही प्रस्तुति दी थी, उसके बाद ही सीखने की चाह फिर से जागी थी।
गायन मंडली से जुड़े, अब सीख रहे हैं
ईएसआई के ब्रांच मैनेजर पद से सेवानिवृत्त हुए विजय कुमार जोशी कई वर्षों से एक सुंदरकांड का गायन करने वाली भजन मंडली से जुड़े हैं। कार्य के दौरान भी वे समय निकालकर मंडली के साथ सुंदरकांड का पाठ करने के लिए जाते थे। सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने पत्नी के साथ बच्चों को कोचिंग देना प्रारंभ किया। बच्चों को सीखते हुए उन्हें खुद भी कुछ सीखने की चाह हुई और उन्होंने शर्मा बंधु एकेडमी पर सिंथेसाइजर की क्लास ज्वॉइन की है। दो माह क्लास में सीखने के बाद उन्हें कुछ धुन याद हो गई है। उनका कहना है कि पूरी तरह से सीखने के बाद वे मंडली में सिंथेसाइजर का वादन करेंगे। उनका कहना है कि घर में अभ्यास के दौरान और क्लास में बच्चों के बीच उन्हें कोई हिचकिचाहट नहीं होती है। बल्कि क्लास में बच्चों के साथ बच्चों की तरह रहना उन्हें काफी अच्छा लगता है। उनका कहना है कि अब तक परिवार की सारी जिम्मेदारियों को पूरा किया है, अब वे खुद के लिए वक्त बिता रहे हैं।
Updated on:
05 Feb 2018 01:12 pm
Published on:
04 Feb 2018 07:14 pm
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