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Guru Purnima: यहां है दुनिया का पहला गुरुकुल, जहां आज भी लगती श्रीकृष्ण की क्लास

guru purnima: जहां श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा ने गुरु सांदीपनि से शिक्षा पाई, उन्हीं 51 गुरुकुलों में ज़िंदा है वही परंपरा जो इस स्थान को बनाता है इसे आध्यात्मिक शिक्षा की धरोहर। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर जानें माखनचोर से जुड़ी रोचक परंपरा। (world first gurukul)

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world first Gurukul is in MP, Shri Krishna's classes are held here even today guru purnima

world first Gurukul is in MP Shri Krishna's classes are held here even today guru purnima (फोटो सोर्स- फेसबुक सोशल मीडिया)

guru purnima: उज्जैन गुरु-शिष्य परंपरा की धरोहर मानी जाने वाली उज्जैन नगरी को विश्व के पहले गुरुकुल की भूमि होने का गौरव प्राप्त है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां करीब 5268 वर्ष पूर्व महर्षि सांदीपनि का आश्रम स्थापित हुआ। यहीं भगवान श्रीकृष्ण, उनके भाई बलराम और सखा सुदामा ने 16 वि‌द्याओं और 64 कलाओं का अध्ययन किया था।

गुरु पूर्णिमा पर्व पर गुरुवार को गुरु-शिष्य परंपरा को सम्मान देते हुए आश्रम से सुबह 10 बजे विशेष गुरु यात्रा निकाली जाएगी। नेतृत्व आश्रम के पं. राहुल व्यास व रूपम व्यास करेंगे। गुरुकुल में अब शिक्षा-दीक्षा का क्रम जारी नहीं है। ऋषि सांदीपनि के वंशज आनंद शंकर व्यास बताते हैं बसंत पंचमी पर अक्षर आरंभ की प्रक्रिया होती है। बच्चों की शिक्षा का श्रीगणेश होता है। (world first gurukul)

आज भी जिंदा है परंपरा

उज्जैन की गुरुकुल की परंपरा आज भी जारी है। शहर में 51 से अधिक गुरुकुल सक्रिय हैं, जहां परंपरागत वेद शिक्षा पद्धति से बटुकों को प्रशिक्षण दिया जाता है। हर गुरु पूर्णिमा पर गुरुकुलों में विशेष पूजन, गुरु वंदन और सांस्कृतिक कार्यकम होते हैं। इसी कारण उज्जैन को आध्यात्मिक शिक्षा की भूमि भी कहा जाता है।

11 वर्ष की उम्र में आए थे श्रीकृष्ण

पं. व्यास बताते हैं कि उज्जैन न केवल शिवभक्ति का केंद्र रही है, बल्कि महाभारत काल में शिक्षा का प्रमुख केंद्र रही है। कालांतर में यहीं सांदीपनि आश्रम 'श्रीकृष्ण का विद्यालय' कहलाया। आश्रम आज भी मंगलनाथ रोड स्थित अंकपात क्षेत्र में मौजूद है। यहां बाल कृष्ण, बलराम व सुदामा की शिलाएं, स्लेट और कलम के साथ अध्ययनरत मुद्रा में हैं। मान्यता है कि श्रीकृष्ण अध्ययन के लिए तो उनकी उम्र 11 वर्ष थी। उन्होंने कंस वध के बाद 64 दिन आश्रम में रहकर संपूर्ण शिक्षा प्राप्त की। (world first gurukul)