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बैंगलुरू की क्यालासनहल्ली झील की तरह संवरेंगे एमपी के तालाब, खूबसूरत होगा ये शहर

Ujjain News: उज्जैन जिले के तालाबों को क्यालासनहल्ली झील के मॉडल पर विकसित करने की पहल

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Ujjain News

Ujjain News ponds will be beautiful like Kyalasanahalli lake Bengaluru

Ujjain News: गंदगी से पटा एक बड़ा गड्ढा जो कभी झील या तालाब था, उसे थोड़ी राशि और कुछ प्रयास से उसके मूल स्वरूप में लाया जा सकता है। बैंगलुरू में क्यालासनहल्ली झील सहित ऐसी कई जल राशि इसका सफल उदाहरण हैं। उज्जैन जिले के तालाबों को क्यालासनहल्ली झील के मॉडल पर विकसित करने की पहल हुई है। इसमें सीमेंट-कांक्रीट या लोहे-स्टील के स्ट्रक्चर से तालाबों का ऊपरी और अस्थायी सौंदर्यीकरण नहीं किया जाता बल्कि, मिट्टी, पानी और पेड़-पौधों से तालाब को उसके प्राकृतिक स्वरूप में लौटाया जाता है।

जिले के तालाबों को पुनर्जीवित करने की दिशा में जिला पंचायत द्वारा सोमवार गंगा जल संवर्धन की कार्यशाला हुई। कालिदास अकादमी में आयोजित कार्यशाला में लेक मैन ऑफ इंडिया (झील पुरुष) के नाम से प्रसिद्ध आनंद मल्लिगावड ने जिलेभर से आए सरपंच-सचिवों को तालाबों के विकास की स्थायी और तुलनात्मक सस्ती राह दिखाई। उन्होंने कहा, हम सीमेंट-कांक्रीट के स्ट्रक्चर से तालाबों को सुंदर बनाने की बात करते हैं जबकि प्रकृति से ज्यादा सुंदर कुछ है ही नहीं। हमें सिर्फ नेचर को री-स्टोर करना है, प्रकृति अपने आप सुंदर हो जाएगी।

सरपंच-सचिव खासे प्रभावित

इसलिए हमने तालाबों का कायाकल्प सिर्फ मिट्टी, पानी और पेड़-पौधों से किया है। तालाबों के आसपास मिट्टी या पेवर ब्लॉक के पॉथ-वे बनाए है। गंदगी के कारण जिन झीलों के आसपास भी कोई नहीं आता था, आज वहां रोज 5 हजार से अधिक लोग मॉर्निंग-इवनिंग वॉक पर आते हैं। कार्यशाला में मल्लिगावड ने प्राकृतिक तरीके से तालाबों के विकास का फोटो प्रजेंटेशन दिया। इसे देखकर सरपंच-सचिव खासे प्रभावित हुए। कार्यक्रम के बाद कई सरपंच-सचिवों ने उनकी पंचायत में तालाबों के विकास की बात कही है। कार्यशाला में जिला पंचायत उपाध्यक्ष शिवानीकुंवर, जिला पंचायत सीइओ जयति सिंह भी मौजूद थे।

तालाब में नहीं मिलना चाहिए सीवरेज

कार्यशाला में बताया, तालाबों का गहरीकरण चाय की प्लेट की संरचना जैसा होना चाहिए। वह छोटे बच्चों से लेकर बडों के स्नान के लिहाज से सुरक्षित हो। झील या तालाब को पुनर्जीवित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि उसमें सीवरेज का एक बूंद पानी भी न जाए। यदि थोड़ा भी सीवरेज मिलता है तो झील का पूरा साफ पानी प्रदूषित हो जाएगा और उसमें जलकुंभी आदि उग जाएंगे। आनंद ने बताया, इसके लिए सूखी झील को पूरी तरह साफ कर इसमें मिट्टी के बांध बनाकर इसे अलग-अलग भाग में बांटा जाता है।

एक छोटा भाग सीवरेज के लिए बनाया जाता है। इसमें जमा गंदा पानी प्राकृतिक तरीके से फिल्टर करते हुए नदी में छोड़ा जाता है। तालाब का शेष 60-70 प्रतिशत भाग पूरी तरह वर्षा जल से भरता है। मिट्टी से बांध इस टेक्नोलॉजी से बनते हैं कि सीवरेज का पानी ओव्हरलो हो तालाब के साफ पानी में नहीं मिलता है। कुछ सालों में तालाब में 12 महीने बारिश का पानी उपलब्ध रहने लगता है।

एक एकड़ पर 10 लाख का खर्च

आनंद मल्लिगावड़ ने बताया, तालाब विकास में एक एकड़ पर सरकार 50 लाख से 1 करोड़ रुपए तक खर्च करती हैं। इसके विपरित उनके नेच्युरल मॉडल में महज 5 से 10 लाख रुपए प्रति एकड़ का खर्च आता है। उन्होंने सबसे पहले 36 एकड़ में फैली क्यालासनहल्ली झील को पुनर्जीवित किया था। इसमें 95 लाख रुपए खर्च हुए थे और यह महज 45 दिन में विकसित हो गई थी।

सिर्फ आंखों में ही पानी नजर आएगा

कार्यशाला में एक वीडियो के जरिए जलराशियों के जीर्णोद्धार का प्रभावी संदेश दिया। वीडियो के बारे में आनंद ने बताया, हमारे पूर्वज नदी में पानी देखते थे, पिता ने कुएं में पानी देखा, हम नलों में पानी देख रहे हैं, हमारे बच्चे ढक्कन बंद बोतल में पानी देख रहे हैं। यदि हम अभी नहीं चेते तो आने वाली पीढ़ी की आंखों में ही पानी नजर आएगा।

कायाकल्प के लिए जिले में तालाब चिन्हित होंगे

जिले के तालाबों को भी पुनर्जीवित करने की योजना है। इसके लिए लेक मेन ऑफ इंडिया आनंद मल्लिगावड़ का मार्गदर्शन व उनके झील विकास के मॉडल को अपनाया जा सकता है। फिलहाल जिला पंचायत जिले में प्रमुख तालाबों का सर्वे कर फिजिब्लिटी देख रही है। तालाब चिन्हित होने के बाद एक-दो महीने में आनंद मल्लिगावड़ उज्जैन आकर इनका निरीक्षण कर सकते हैं।

जिले में इसी कंसेप्ट से मिलता जुलता काम

कार्यक्रम में जिला पंचायत सीइओ जयति सिंह ने बताया, हमारी टीम ग्रामीण क्षेत्र मे जल संरक्षण को लेकर जो कार्य कर रही है वह आनंद मल्लिगावड के कान्सेप्ट से मिलता जुलता है । इसी कड़ी मे उन्हे बुलाकर सेमिनार आयोजित किया गया । कम बजट मे अच्छा नेचुरल रिसोर्स बनाने को लेकर हमारा भी फोकस है । लोग आनंद मल्लिगावड के कार्य से मोटिवेट हो और वॉटर बाडीज की ओनरशिप ले।

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