19 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

जब नहीं लौटी वो… एमपी में दूधमुंही मासूम के लिए फरिश्ता बने अनजान दंपती

MP News: रेल के डिब्बे में वह छह महीने की मासूम बच्ची अपनी दुनिया में खोई सो रही थी, शायद अपनी मां की गर्माहट महसूस करते हुए। उसे क्या पता था कि यह उसकी मां की गोद में बीते आखिरी कुछ पल हैं। उसकी छोटी-सी दुनिया, जो अभी पूरी तरह बनी भी नहीं थी, शायद दूध की एक छोटी सी प्याली, एक मुस्कान, एक सहारा चाहिए था...।

2 min read
Google source verification
MP News

MP News (फोटो सोर्स : पत्रिका क्रिएटिव)

MP News: रेल के डिब्बे में वह छह महीने की मासूम बच्ची अपनी दुनिया में खोई सो रही थी, शायद अपनी मां की गर्माहट महसूस करते हुए। उसे क्या पता था कि यह उसकी मां की गोद में बीते आखिरी कुछ पल हैं। उसकी छोटी-सी दुनिया, जो अभी पूरी तरह बनी भी नहीं थी, शायद दूध की एक छोटी सी प्याली, एक मुस्कान, एक सहारा चाहिए था उसे लेकिन एक झटके में बिखर गई। वह केवल इतना सुन सकी, मैं अभी आती हूं और फिर वो महिला, जो शायद उसकी मां थी, लौटकर नहीं आई।

यह मार्मिक घटना उज्जैन रेलवे स्टेशन की है। नई दिल्ली जा रही एक ट्रेन शाम करीब 5.30 से 6 बजे के बीच प्लेटफॉर्म पर खड़ी थी। डिब्बे में बैठे एक दंपत्ति से एक महिला ने विनती की, मैं शौचालय जा रही हूं, क्या आप मेरी बच्ची को थोड़ी देर के लिए गोद में ले सकते हैं? दंपती ने इंसानियत के नाते बच्ची को अपने पास बैठा लिया। कुछ मिनटों के इंतज़ार के बाद उन्होंने सोचा कि शायद महिला किसी परेशानी में है, लेकिन समय बीतता गया और वो महिला फिर नहीं लौटी।

छह महीने की मासूम: जिसे पता ही नहीं मां क्या होती है

वह बच्ची महज छह महीने की थी। इतनी छोटी कि शायद आंखें भी पूरी तरह न खुलती हों। उसकी दुनिया मां की धड़कनों, छुअन और लोरी के दायरे में ही बसी थी। लेकिन वो दुनिया एक झटके में टूट गई, बिना किसी चेतावनी, बिना किसी अलविदा के। अब वह हर आहट पर चौंकती होगी, शायद किसी आवाज़ को मां समझकर मुस्कुरा देती होगी... फिर सहमकर रो पड़ती होगी। वो मासूम समझ ही नहीं पा रही होगी कि उसकी ‘दुनिया’ आखिर कब लौटकर आने वाली है। सवाल यह कि क्या उसकी कोई गलती थी? क्या जन्म लेना भारी अपराध था कि उसे इस तरह छोड़ दिया गया?

अधूरे सवाल... जो रह गए पीछे

इस घटना के बाद कई सवाल उठ खड़े हुए, जो हर संवेदनशील दिल को झकझोरते हैं कि क्या उस महिला को कोई मजबूरी थी, जो उसने अपनी बच्ची को छोड़ दिया? क्या वो जानबूझकर गई? या कोई डर, कोई सामाजिक दबाव, कोई संकट था? क्या बच्ची के पिता को इस घटना की जानकारी है? क्या बच्ची को फिर कभी उसका परिवार मिलेगा? क्या उसे अब कोई नया घर, नई मां, नया प्यार मिलेगा? और सबसे ज़रूरी सवाल इस छोटी सी उम्र में वह मासूम इतना बड़ा दु:ख कैसे समझेगी? ये सवाल अधूरे हैं। जवाब शायद समय देगा।

जांच जारी, कैमरों में कैद है सच्चाई का टुकड़ा

नैत्विक वेलफेयर सोसाइटी की रीना जॉर्ज ने बताया कि बच्ची को प्राथमिक देखरेख और कपड़े देकर सुरक्षित रखा गया। इसके बाद जीआरपी ने बच्ची को शिशु गृह भेज दिया। जीआरपी प्रभारी सोहनलाल पाटीदार ने बताया कि ट्रेन और स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए हैं। एक महिला हरी साड़ी में दिखाई दी, जिसने बच्ची को छोड़ा था, लेकिन उसका चेहरा ढंका हुआ है, जिससे पहचान में मुश्किल आ रही है। फुटेज के आधार पर महिला की तलाश जारी है।

इंसानियत का पेश किया उदाहरण

जहां एक महिला उसे छोड़ गई, वहीं वो दंपती उस बच्ची के लिए एक पल को माता-पिता बन गए। उन्होंने उसे प्यार से थामा, सहेजा, उसका याल रखा और फिर रेलवे पुलिस को सौंपा। उन्होंने कोई बहाना नहीं बनाया, सिर्फ ये सोचा कि ये एक बच्ची है, और इसे अब हमारी ज़रूरत है। ऐसे समय में जब लोग कैमरे निकालकर वीडियो बनाने लगते हैं, उस दंपती ने संवेदनशीलता और इंसानियत का परिचय दिया।