
rice price
नोटबंदी और भारतीय मुद्रा में हाल में आई गिरावट के दबाव में साल के पहले
सप्ताह देश में चावल की कीमतें लुढ़क गईं। कारोबारियों के अनुसार दुनिया के सबसे
बड़े चावल निर्यातक देश भारत में '[typography_font:14.5pt]उसना चावल ([typography_font:14.5pt]ब्वॉयल्ड राइस) की कीमतें पांच प्रतिशत गिरकर इस सप्ताह 341[typography_font:14.5pt] से 345[typography_font:14.5pt] डॉलर प्रति टन बिकीं।
दरअसल नोटबंदी की वजह से किसान गत
साल दिसंबर में जहाज पर चावल की पर्याप्त लदान नहीं करा पाए, जिससे अधिक मात्रा में इसका निर्यात नहीं हो पाया। नोटबंदी की वजह से चावल के
साथ ही कपास तथा सोयाबीन उत्पादक किसानोंं को भी भारी नुकसान होना पड़ा, क्योंकि कृषि कार्य से जुड़े अधिकतर लोग काम का मेहनताना नकद लेते हैं।
अच्छे
मानसून के कारण जून 2017 तक रिकॉर्ड 9.40 करोड़ टन धान
उत्पादन का अनुमान व्यक्त किया गया है, जो गत साल के
मुकाबले 2.81 प्रतिशत अधिक है। आंध्रप्रदेश के एक चावल निर्यातक ने कहा
कि बाजार में अतिआपूर्ति का दबाव बनना शुरू हो गया है। निर्यात की मांग भी बढ़ रही
है लेकिन मांग इतनी भी नहीं है कि अतिआपूर्ति के दबाव को झेल पाए।
भारत ने मुख्य
रूप से अच्छी गुणवत्ता वाला बासमती चावल पश्चिम एशिया में निर्यात किया जाता है, जबकि अन्य किस्म के चावल अफ्रीकी देशों में निर्यात किए जाते हैं। भारत ने गत
साल अप्रैल से अक्टूबर के बीच लगभग 38 लाख टन चावल का निर्यात
किया था जो वर्ष 2015 की समान अवधि की तुलना में 3.1 प्रतिशत अधिक
है।
Published on:
04 Jan 2017 07:48 pm
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