
वाल्मीकि टाइगर रिसर्व में अब गैंडे रहेंगे और सुरक्षित
बेतिया. गैंडों की रखरखाव, संरक्षित और विकसित करने के लिए मशक्कत और तेज हो गई है। गैंडों की कैसे सुरक्षा की जाए और उन्हें खतरों से कैसे बचाया जाए, इस दिशा में भी प्रशिक्षण देने के लिए टीम कार्य करेगी। गौरतलब है कि असम के काजीरंगा नेशनल पार्क में गैंडो का संरक्षण और विकास बेहतर होता है। इसिलिए वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में भी गैंडों को संरक्षित रखरखाव और विकास करने के लिए टीम कार्य करेगी। इस दौरान भटके हुए गैंडो को रेस्क्यू करने का भी तरीका बताया जाएगा। कोई हादसा ना हो इस दिशा में पहले ही रेलवे लाइन के आगे दीवार का निर्माण भी कराया गया है। यहां अधिवास के अनुकूल माहौल होने पर गैंडों की संख्या बढऩे की संभावना रहेगी। वाल्मिकी टाइगर्स रिजर्व (वीटीआर ) में काजीरंगा नेशनल पार्क की तर्ज पर गैंडों के लिए अधिवास क्षेत्र बनाया जाएगा। इसकी कवायद वीटीआर में तेज कर दी गई है।
गैंडों की सुरक्षा और खतरों के बारे में होगा अध्ययन
भारतीय वन्य जीव संस्थान व वल्र्ड वाइल्ड फंड फॉर नेचर(डब्ल्यू डब्ल्यू एफ)ने वीटीआर के मदनपुर, गनौली व वाल्मिकी नगर वन क्षेत्र को मूल्यांकन में उपयुक्त बताया है। पहले स्तर के मूल्यांकन के बाद असम के रिटायर्ड सीसीएफ सह ग्लोबल टाइगर फोरम के वर्तमान प्रोजेक्ट लीडर विशनसिंह बोनाल के नेतृत्व में नौ सदस्यों वाली टीम 18 से 20 जनवरी तक प्रबंधन का मूल्यांकन करेगी। इसमें गैंडों की सुरक्षा और खतरों के बारे में अध्ययन किया जाएगा।
रेल खंड के आगे खड़ी की दीवार
वीटीआर के निदेशक हेमकांत राय ने बताया कि इस समय गनौली और वाल्मीकि रेंज में एक गैंडा मौजूद है। पहले यहां छह गैंडे थे, जिनमें दो बगहा-पनियहवा रेल खंड में ट्रेन की चपेट में आकर मारे गए। अब रेल खंड के आगे दीवार खड़ी कर दी गई है। मदनपुर वनक्षेत्र के बहुत बड़े हिस्से में जलजमाव व ग्रास लैंड है, जो गैंडों के निवास के लिए उपयुक्त है।
Published on:
17 Jan 2020 09:15 pm
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