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उन्नाव: गुरु गोविंद सिंह के पुत्रों को इस्लाम धर्म नहीं दीवारों में चुना जाना मंजूर, दिया सर्वोच्च बलिदान

गुरुद्वारा में आज वीर बाल दिवस मनाया गया। इस मौके पर वीर बाल सपूतों कि सर्वोच्च बलिदान को याद किया गया। साहिबजादों के ऊपर बनाई गई डॉक्यूमेंट्री को भी दिखाया गया।

उन्नावDec 26, 2023 / 08:57 pm

Narendra Awasthi

उन्नाव: गुरु गोविंद सिंह के पुत्रों को इस्लाम धर्म नहीं दीवारों में चुना जाना मंजूर, दिया सर्वोच्च बलिदान

उन्नाव: गुरु गोविंद सिंह के पुत्रों को इस्लाम धर्म नहीं दीवारों में चुना जाना मंजूर, दिया सर्वोच्च बलिदान

बीजेपी के जिलाध्यक्ष अवधेश कटिहार ने कहा कि क्रूर मुगल अक्रांताओं का साहिबजादों ने सामना डटकर किया। साहिबजादों ने कहा कि जब सबको एक दिन मरना है, तो हमें अपने धर्म में ही मरना स्वीकार है। वीर सपूतों की इतनी बड़ी शहादत को हम सभी को जानना चाहिए। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस में मनाने का निश्चय किया। स्थानीय गुरुद्वारा में वीर बाल दिवस के अवसर पर आज गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर चार साहिबजादे बनी डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई।‌

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जिलाध्यक्ष अवधेश कटियार ने कहा कि वीर साहिबज़ादा से पूरा देश प्रेरणा ले रहा है। जब अन्याय और अत्याचार का घोर अंधकार था, तब भी निराशा के पल हम पर हावी नहीं हुए। हर आयु वर्ग के पूर्वजों ने सर्वोच्च बलिदान दिया।‌आज जब हम अपनी विरासत पर गर्व कर रहे हैं। तब दुनिया का नजरिया भी बदला हुआ है।

बलिदान देने में सिख समाज सबसे आगे

सदर विधायक पंकज गुप्ता ने कहा कि बलिदान देने में सिख समाज सबसे आगे रहा है। चाहे मुगल काल हो या फिर अंग्रेजों का कार्यकाल। काला पानी की सजा पाने वालों में हमारे सिख भाइयों की संख्या सबसे अधिक थी। आज सेना में सिखों का महत्वपूर्ण योगदान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज के दिन को वीर बाल दिवस घोषित कर हमें गौरवान्वित होने का अवसर दिया। इस मौके पर आईवीपी चौराहे का नाम गुरु गोविंद सिंह के नाम करने की घोषणा की गई। बोले चौराहे को विशाल चौराहे के रूप में विकसित किया जाएगा।

गुरुद्वारा समिति के प्रधान ने कहा

गुरुद्वारा समिति के प्रधान अरविंदर सिंह ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह अपने बच्चों के बलिदान पर कभी दुखी नहीं हुए। उन्होंने ईश्वर के दिए पुत्रों को ईश्वर को ही सौंप दिया। मुगल सेना ने गुरु गोविंद सिंह और उनकी सेना पर हमला कर दिया था। जिसका प्रारंभिक केंद्र आनंद साहिब किला था। सरसा नदी के तट पर लंबी लड़ाई के बाद परिवार भी अलग हो गए। नवाबों ने साहिबजादों को इस्लाम अपनाने के लिए कहा। लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। आक्रोशित मुगल सम्राट ने गुस्से में आकर बहादुर लड़कों को दीवारों के बीच चुना दिया। साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।

स्कूली बच्चों ने वीर बाल की कहानी सुनाई

इस मौके पर साहिबजादों पर स्कूली बच्चों ने साहिबजादों पर गीत और कहानियां भी सुनाई गई। कार्यक्रम में बीजेपी के जनप्रतिनिधि, पदाधिकारी, गुरुद्वारा के पदाधिकारी, समाजसेवी आदि मौजूद थे। इस मौके पर मसाल जुलूस भी निकल गया गुरु गोविंद सिंह अमर रहे के नारे लगे।

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