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कैसे आता है भूकंप,किन इलाकों में है ज्यादा खतरा

समूचे उत्तर भारत में 08 नवंबर को भूकंप के तेज झटके महसूस किये गए. इसका असर सारे उत्तरी राज्यों में नजर आया. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.3 थी.

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भूकंप जिसे हम भूचाल नाम से भी जानते है यह पृथ्वी की सतह के हिलने को कहते है. पृथ्वी के स्थलमण्डल में ऊर्जा के अचानक मुक्त हो जाने के कारण उत्पन्न होने वाली भूकम्पीय तरंगों की वजह से होता है।

यह भूकंप के झटके कभी-कभी इतने विनाशकारी होते है की बहुत से लोगो की जान चली जाती है. अगर भूकंप किसी जगह आया तो इसका मतलब यह नहीं होता की सिर्फ उसी जगह पर नुकसान देखने को मिलेगा.

भूकंप कैसे आता है?

धरती मुख्य रूप से चार परतों से बनी है जिनका नाम इनर कोर, आउटर कोर, मेंटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मेंटल को लिथोस्फेयर कहा जाता है। लिथोस्फेयर यह 50 किलोमीटर जितनी मोटी परत होती है. ये परत वर्गों में बंटी है।

इन्हें टेक्टोनिकल प्लेट्स कहते हैं. पूरी धरती 12 टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है. ये प्लेटें इसी लावे पर तैर रही है।और इनके टकराने से ऊर्जा निकलती है जिसे भूकंप कहते है। वास्तव में यह प्लेंटे बहुत धीमी गति के साथ घूमती रहती है। इस प्रकार ये हर साल 4-5 मिमी अपने स्थान से खिसक जाती है। कभी कोई प्लेट दूसरी प्लेट के निकट आ जाये तो दूर हो जाती है। ऐसे में कभी-कभी ये टकरा भी जाती है जिससे भूकंप की उत्पत्ति होती है।

भूकंप का कारण:

पृथ्वी के स्थलमण्डल में ऊर्जा के अचानक मुक्त हो जाने के कारण उत्पन्न होने वाली भूकम्पीय तरंगों की वजह से होता है।

ज्वालामुखी तथा भूकंप एक-दूसरे से जुड़े हुए है। प्रत्येक ज्वालामुखी क्रिया के साथ समान्य रूप से भूकंप की उत्पत्ति होती है तथा भूकंप की तीव्रता ज्वालामुखी की तीव्रता पर निर्भर करती है। किन्तु यह आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक भूकम्पीय क्रिया का कारण ज्वालामुखी हो।

कई बार भूकंप का कारण मानव द्वारा कार्य भी हो सकते है उदाहरन के लिए माइन टेस्टिंग, न्यूक्लियर टेस्टिंग आदि। लेकिन इनकी तीव्रता काफी हद तक कम होती है जिससे कोई खास नुकसान नहीं होता।

सबसे ज्यादा भूकंप इन ईलाको में आते है।

भारतीय उपमहाद्वीप में भूकंप का खतरा हर जगह अलग-अलग है। भारत को भूकंप के क्षेत्र के आधार पर चार हिस्सों जोन-2, जोन-3, जोन-4 तथा जोन-5 में बांटा गया है।

.जोन 2 सबसे कम खतरे वाला जोन है तथा जोन-5 को सर्वाधिक खतनाक जोन माना जाता है।

उत्तर-पूर्व के सभी राज्य, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से जोन-5 में ही आते हैं. उत्तराखंड के कम ऊंचाई वाले हिस्सों से लेकर उत्तर प्रदेश के ज्यादातर हिस्से तथा दिल्ली जोन-4 में आते हैं. मध्य भारत अपेक्षाकृत कम खतरे वाले हिस्से जोन-3 में आता है, जबकि दक्षिण के ज्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं।

Updated on:
09 Nov 2022 01:31 pm
Published on:
09 Nov 2022 01:27 pm
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