आज की दुनिया में लोग बहुत जल्दी जिंदगी से हार मान लेते हैं और थोड़े से दुख की वजह से सुसाइड जैसा बड़ा कदम उठा लेते हैं आईये जानते हैं इनसे कैसे बचा जा सकता है…
Mental Health: इस जमाने में अगर किसी व्यक्ति को कोई चोट लगे या किसी तरह की बीमारी हो जाए तो वह आसानी से पकड़ में आ जाती है और उसेु समय से पहले ठीक किया जा सकता है लेकिन मेंटल हेल्थ न तो जल्द किसी को समझ आता है जिस वजह से इसका इलाज समय पर नहीं हो पाता, क्योंकि इसके लक्षण काफी अलग होते हैं इनको समझना काफी मुश्किल होता है। मेंटल हेल्थ की लोगों को जानकारी बेहद कम है और अगर जानकारी ही नहीं होगी तो जागरूकता अपने आप कम होगी। इसके कारण लोगों को एंग्जाइटी, डिप्रेशन, मूड डिसॉर्डर जैसी मानसिक बीमारिया हो जाती है और खुद मरीज भी इसका अंदाजा नहीं होता।
‘मेंटल हेल्थ की वजह से होते हैं काफी सुसाइड’
बता दें, प्रिया वंद्रेवाला भी इन्हीं लोगों में से एक थी, लेकिन उनकी ज़िंदगी में एक ऐसा दौर आया जिसकी वजह से उनकी लाइफ पूरी बदल गई। प्रिया एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं, प्रिया भी आम नागरिकों जैसा जीवन जी रही थी, एक दिन अचानक उनके अंकल ने 2006 में सुसाइड कर लिया। इसकी वजह से प्रिया के दिल और दिमाग पर गहरा असर हुआ और वे खुद डिप्रेशन में चली गईं, पर उन्होंने इसका सामना काफी अच्छी तरह किया। हमेशा वह सोचती थी कि काश में अपने अंकल को आत्महत्या से रोक पाती।
प्रिया ने खोला अपना मेंटल हेल्थ फाउंडेशन
प्रिया ने बताया कि, काफी लोग नहीं जान पाते कि उनकी मेंटल हेल्थ खराब हो रही है वह इसके बारे में किसी को नहीं बता पाते और सुसाइड जैसा बड़ा कदम उठा लेते हैं। प्रिया ने मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की बढ़ती गंभीरता को देखते हुए 2008 में अपने पति साइरस वंद्रेवाला के साथ मिलकर “वंद्रेवाला फाउंडेश्न” की स्थापना की। इस संस्था का मकसद उन लोगों की मदद करना है जो मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। साथ ही, यह फाउंडेश्न कई संस्थानों के साथ मिलकर लोगों को मेंटल हेल्थ के लिए जागरूक करती है।
ऐसे करते हैं लोगों की मदद
मेंटल हेल्थ से जुड़ी छोटी-छोटी जरूरतों को समझते हुए वंद्रेवाला फाउंडेशन नें 2009 में ही भारत में अपनी ‘मेंटल हेल्थ हेल्पलाइन’ की शुरुआत की थी। यह हेल्पलाइन डिप्रेशन, ट्रॉमा, मूड डिसऑर्डर, गंभीर बीमारियों और रिलेशनशिप इशू की वजह से इन परेशानियों का सामना कर रहे किसी भी व्यक्ति को फ्री मनोवैज्ञानिक ट्रीटमेंट और मेडिटेशन दिया जाता है।इस फाउंडेशन ने पिछले 14 सालों से यह सेवा 4 प्रमुख भाषाओं- हिंदी, अंग्रेजी, मराठी और गुजराती में 24/7 उपलब्ध कराई है।
इन सालो में अब तक ‘वंद्रेवाला फाउंडेशन’ नें 1 मिलियन से भी ज्यादा लोगों की काउंसेलिंग की है टेक्नोलिजी के जमाने में अब यह फाउंडेशन भी 50% से ज्यादा लोगों से बातचीत व्हाट्सएप पर करते हैं।