17 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

पश्चिमी यूपी में हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर 22 जिले बंद, सड़कों पर उतरे वकील और संगठन, CCU ने रद्द की परीक्षाएं

Meerut Protest News : पश्चिमी यूपी में हाईकोर्ट बंच की मांग एक बार फिर उठी है। 22 जिलो में पूर्णरूप से बंदी है। अधिवक्ता सड़क पर उतरे हुए हैं। 1200 से अधिक संगठनों और राजनीतिक पार्टियों ने इस आंदोलन का समर्थन किया है।

3 min read
Google source verification

पश्चिमी यूपी में 22 जिले बंद रहे, अधिवक्ताओं, संगठनों और राजनीतिक पार्टियों ने आंदोलन का समर्थन किया, PC- X @ArunAzadchahal

मेरठ : पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच स्थापित करने की दशकों पुरानी मांग ने आज एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। हाईकोर्ट बेंच स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति के आह्वान पर मेरठ सहित 22 जिलों में पूर्ण बंद का व्यापक असर देखा गया। सुबह से ही शहर की सड़कें सूनी पड़ीं, दुकानों पर ताले लटके रहे, स्कूल-कॉलेज बंद रहे और वकील धरने-प्रदर्शन में उतर आए। अधिवक्ताओं ने नारा लगाया- 'बेंच नहीं तो वोट नहीं', जबकि राजनीतिक दलों और 1200 से अधिक संगठनों ने इस आंदोलन को समर्थन दिया। यह बंद न केवल मेरठ बल्कि मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शामली, बुलंदशहर, हापुड़, बिजनौर, बागपत समेत पूरे पश्चिमी यूपी को प्रभावित कर रहा है।

OPD सेवाएं बंद… सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं चालू

बंद का असर सुबह से ही दिखाई देने लगा। मेरठ के प्रमुख बाजारों जैसे खैरनगर, सुमित बुढ़ाना गेट, जिमखाना मैदान, बेगमपुल, दिल्ली रोड, गढ़ रोड और बच्चा पार्क में दुकानों के शटर बंद रहे। सुबह 11 बजे तक कई इलाकों में सन्नाटा पसरा रहा। डॉक्टरों ने ओपीडी सेवाएं स्थगित कर दीं, हालांकि इमरजेंसी सेवाएं बहाल रहीं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) मेरठ की अध्यक्ष डॉ. मनीषा त्यागी और सचिव डॉ. विकास गुप्ता ने कहा, 'सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक ओपीडी बंद रहेगी, लेकिन मरीजों की सुविधा के लिए इमरजेंसी चालू है।'

CCU ने रद्द की परीक्षाएं

शहर के निजी स्कूल और कोचिंग सेंटर बंद रहे, जबकि चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) ने आज की सभी परीक्षाएं स्थगित कर दीं। ये परीक्षाएं अब 12 जनवरी 2026 को पूर्व निर्धारित केंद्रों पर होंगी। छात्र नेताओं की मांग और परीक्षा नियंत्रक से वार्ता के बाद यह निर्णय लिया गया।

बंदी के दौरान हुई नोकझोंक

वकीलों ने कचहरी परिसर के सभी गेटों पर धरना दिया और न्यायालयों में कामकाज ठप कर दिया। रजिस्ट्री कार्यालय समेत सभी अदालतें बंद रहीं। मेरठ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय शर्मा, महामंत्री राजेंद्र सिंह राणा, जिला बार अध्यक्ष राजीव त्यागी और महामंत्री अमित कुमार राणा ने शहर भर में जनसंपर्क किया। उन्होंने कहा, 'यह आंदोलन अब जनआंदोलन बन चुका है। हम हाईकोर्ट बेंच मिलने तक नहीं रुकेंगे।' सरधना क्षेत्र में नवीन मंडी के कुछ व्यापारियों ने दुकानें खोल लीं, लेकिन सरधना बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विक्रम त्यागी के नेतृत्व में वकीलों ने उन्हें बंद कराया। इस दौरान हल्की नोकझोंक हुई, लेकिन अंततः व्यापारियों ने समर्थन दिया।

सपा विधायक ने किया समर्थन

राजनीतिक हलकों से भी मजबूत समर्थन मिला। समाजवादी पार्टी (सपा) के किठौर विधायक और पूर्व मंत्री एडवोकेट शाहिद मंजूर ने कहा, 'मैं मेरठ बार का सदस्य हूं। यहां से शुरू होने वाले आंदोलन हमेशा सफल होते हैं, भले ही 6 महीने लगें। इसे जनता से जोड़ना होगा।' सरधना से सपा विधायक अतुल प्रधान ने इसे ऐतिहासिक दिन बताया और कहा, 'मेरा एक मुकदमा प्रयागराज में चल रहा है, जहां 50 बार जाना पड़ता है। बेंच यहां बनी तो आम जनता की मेहनत की कमाई बचेगी। यह किसान, मजदूर और आम आदमी का अधिकार है। सरकार नियम बनाए तो सेंट्रल मार्केट भी बचेगा और बेंच भी मिलेगा।'

इलाहाबाद हाईकोर्ट में पश्चिमी यूपी के सिर्फ 63% केस

राज्यसभा सांसद डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने यूपी के क्षेत्रफल (2,40,928 वर्ग किमी), 18 मंडल, 75 जिले, 24 करोड़ जनसंख्या और 10,32,238 लंबित मुकदमों का हवाला दिया। उन्होंने कहा, 'इलाहाबाद हाईकोर्ट में 63% मुकदमे पश्चिमी यूपी के हैं। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, विधि मंत्री हंसराज खन्ना और पूर्व सीएम जैसे डॉ. संपूर्णानंद, नारायण दत्त तिवारी, रामनरेश यादव, बाबू बनारसी दास, मायावती ने इसकी सिफारिश की। महाराष्ट्र में मुंबई हाईकोर्ट की 5वीं बेंच कोल्हापुर में है, जहां जनसंख्या 12.83 करोड़ और लंबित मुकदमे 5.98 लाख हैं। यूपी में बेंच जरूरी है, मेरठ, आगरा, गोरखपुर और काशी को मिलनी चाहिए।'

कई संगठनों का मिला सपोर्ट

इस आंदोलन को 1200 से अधिक संगठनों का समर्थन मिला है, जिसमें व्यापारिक, सामाजिक, किसान और मुस्लिम संगठन शामिल हैं। मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप कुमार अग्रवाल, मेरठ मोटर पार्ट्स डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील जौली, संयुक्त व्यापार संघ के अजय गुप्ता नटराज, भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के अनुराग चौधरी, भारतीय किसान यूनियन (आजाद) के नितिन बालियान ने समर्थन पत्र सौंपे।

मुस्लिम संगठनों जैसे जमात-ए-अलविया हिन्द के अतीक अल्वी, सैफी संघर्ष समिति के कय्यूम सैफी, ऑल इंडिया मोमिन कॉन्फ्रेंस के मतीन अहमद अंसारी और जमीयत उलमा-ए-हिन्द के जैनुर राशिद्दीन सिद्दीकी ने भी समर्थन दिया। कांग्रेस नेता डॉ. प्रदीप अरोड़ा और राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) जिलाध्यक्ष मतलूब गौड़ ने प्रतिनिधिमंडल भेजा। अधिवक्ताओं ने कहा, 'व्यापारी स्वेच्छा से बंद कर रहे हैं, हम जबरन नहीं करा रहे। यह मांग नहीं, आवश्यकता है।'

70 साल से उठ रही मांग

इस मांग का इतिहास 70-80 साल पुराना है। 1950 के दशक से पश्चिमी यूपी में हाईकोर्ट बेंच की मांग उठ रही है, जो 1980 से आंदोलनों का रूप ले चुकी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट से 700-800 किमी दूर होने से मुकदमेबाजों को परेशानी होती है। लंबित मुकदमों का बड़ा हिस्सा इसी क्षेत्र से है। पूर्व में कई बंद और कार्य बहिष्कार हो चुके हैं, लेकिन मांग पूरी नहीं हुई। रविवार दिल्ली में यह मांग एक जनआंदोलन बन रही है, जहां अधिवक्ता और आम जनता एकजुट हो रहे हैं।