
बेटी की लोरी में बीत रही मुस्कान की जिंदगी | AI Generated Image
Muskan jail life after delivery baby Meerut: पति की हत्या के आरोप में करीब 10 महीने से मेरठ जिला जेल में बंद मुस्कान की जिंदगी अब पूरी तरह बदल चुकी है। 24 नवंबर को जेल में ही बेटी राधा को जन्म देने के बाद मुस्कान को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर क्वारैंटाइन बैरक में शिफ्ट किया गया है। पहले वह 30 महिला बंदियों वाली कॉमन बैरक में थी, लेकिन नवजात के कारण उसे अलग बैरक में रखा गया है, जहां वह अपनी बेटी के साथ अकेली रहती है।
मुस्कान जिस बैरक में रह रही है, वह लगभग 8×10 फीट की है। एक तरफ लोहे की सलाखें हैं और बाकी तीन ओर दीवारें। बैरक के भीतर एक फोल्डिंग बेड रखा है, जिस पर पतला गद्दा बिछा हुआ है। ओढ़ने के लिए एक कंबल दिया गया है। दीवार में बनी लकड़ी की छोटी अलमारी में मां-बेटी के कपड़े रखे जाते हैं। पास में एक कटोरी, चम्मच और पीने के पानी की बोतल हमेशा रखी रहती है।
बैरक की एक दीवार पर छोटा सा रोशनदान है, जहां मुस्कान अक्सर बेटी के गीले कपड़े सुखाने के लिए टांग देती है। बच्ची को बहलाने के लिए उसके पास एक झुनझुना और एक छोटा हाथी का टूटा हुआ खिलौना है। इन्हीं साधनों से वह अपनी बेटी को हंसाने और शांत रखने की कोशिश करती रहती है।
मुस्कान की दिनचर्या पूरी तरह बेटी के इर्द-गिर्द घूमती है। वह सुबह 6 बजे उठती है और 7 बजे मिलने वाली चाय के बाद रोज के कम में लग जाती है। 9 बजे नाश्ता मिलता है। 10 बजे जहां अन्य बंदी अपने तय कामों में लग जाते हैं, वहीं मुस्कान को फिलहाल काम से छूट दी गई है। वह बैरक और सामने बने खुले मैदान में बेटी के साथ समय बिताती है, धूप में मालिश करती है, नहलाती है और कपड़े पहनाती है।
बच्ची को तैयार करते समय कुछ महिला बंदी भी मुस्कान के पास आ जाती हैं। वे कभी गोद में उठा लेती हैं, तो कभी कपड़े पहनाने में मदद कर देती हैं। इसके बाद मुस्कान बच्ची को दूध पिलाकर सुला देती है। यह सिलसिला चलते-चलते दोपहर 2 बजे तक चलता है, जब जेल में लंच का समय होता है।
दोपहर के भोजन के बाद मुस्कान को दोबारा बैरक में भेज दिया जाता है। इस दौरान बंदियों की गिनती होती है। इसके बाद वह अपनी बेटी के साथ बेड पर आराम करती है। जेल की दीवारों के बीच यही उसका सबसे शांत समय होता है।
जेल प्रशासन मुस्कान को ज्यादा प्रोटीन वाला आहार दे रहा है। सुबह के नाश्ते में दूध और फल शामिल होते हैं। डॉक्टरों के अनुसार, वह बच्ची को फीड कराती है, इसलिए उसे अतिरिक्त पोषण दिया जा रहा है। दोपहर और रात के खाने में सब्जी, रोटी, दाल और दलिया दिया जाता है। सर्दी के मौसम में गुड़ भी दिया जा रहा है।
जेल की महिला डॉक्टर ने मुस्कान को आयरन, मल्टीविटामिन टैबलेट और सिरप दिए हैं। नवजात राधा का हेल्थ कार्ड बनाया गया है और उसका टीकाकरण भी शुरू हो चुका है। जेल प्रशासन नियमित रूप से मां-बेटी के स्वास्थ्य की निगरानी कर रहा है।
जब भी कोर्ट में ट्रायल की तारीख आती है, मुस्कान को जेल के वर्चुअल कॉन्फ्रेंसिंग रूम में ले जाया जाता है। इस दौरान महिला वॉर्डन और सुरक्षा गार्ड उसके साथ रहते हैं। जेल प्रशासन का कहना है कि सभी प्रक्रियाएं तय मैनुअल के अनुसार की जाती हैं।
वरिष्ठ जेल अधीक्षक डॉ. वीरेश राज शर्मा के मुताबिक, मुस्कान नवप्रसूता है और उसने करीब 20 दिन पहले ही बेटी को जन्म दिया है। इसी कारण उससे फिलहाल कोई काम नहीं कराया जा रहा है। जेल नियमों के अनुसार, अगले छह महीने तक उसे कोई सर्विस अलॉट नहीं होगी और इसके बाद भी उसे केवल हल्के व सामान्य काम ही दिए जाएंगे।
जेल अधिकारियों के अनुसार, मुस्कान से मिलने अब तक कोई नहीं आया है और न ही किसी ने उसके लिए सामान भेजा है। वह अपनी बेटी को लोरी गाकर सुलाती है, सुबह भजन सुनाती है और जेल में होने वाले रामायण व सुंदरकांड पाठ को ध्यान से सुनती है। वही शब्द अब मां के साथ-साथ बच्ची के कानों तक भी पहुंचते हैं।
Published on:
13 Dec 2025 08:47 am
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