
मिसाल: इस तरह चाय बेचने वाले की बेटी काे अमेरिका के कॉलेज से मिली 3.8 करोड़ की स्कॉलरशिप
ग्रेटर नोएडा। प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। समर्पण, मेहनत और लगन से किसी भी मंजिल को पाया जा सकता है। ऐसा ही कर दिखाया है उत्तर प्रदेश के जिला गौतमबुद्ध नगर के दादरी के छोटे से गांव डेरी स्केनर की रहने वाली एक चाय बेचने वाली की बेटी सुदीक्षा भाटी ने। आर्थिक तंगी के बावजूद सुदीक्षा भाटी ने पहले गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उसने बुलंदशहर के स्कूल विद्याज्ञान से 12वीं में सीबीएसई की परीक्षा 98 फीसदी मार्क्स के साथ पास की। इतने नंबरों के साथ उसने जिले में टॉप किया।
अमेरिका के बॉबसन कॉलेज से मिला ऑफर
सुदीक्षा भाटी की इस प्रतिभा का कायल अमेरिका के नामी कॉलेज बॉबसन भी हो गया। कॉलेज ने उसे 100 प्रतिशत स्कॉलरशिप देने का ऑफर किया है। इससे छात्रा के परिवार वाले खुश हैं। साथ ही स्कूल के टीचर भी छात्रा के लगन और मेहनत को देखकर काफी उत्साहित हैं। वह अपने गांव से अमेरिका में पढ़ने वाली पहली छात्रा भी बन गई है, जिसके चलते गांव के लोग इस छात्रा के लगन की तारीफ कर रहे हैं।
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जिले में किया था टॉप
अब गांव डेरी स्केनर में रहने वाले जितेंदर की चाय की यह दुकान देश ही नहीं बल्कि विदेशों में चर्चा का विषय बन गई है। उनकी बेटी सुदीक्षा भाटी को जिले में टॉप करने पर अमेरिका के नामी कॉलेज बॉबसन ने 100 प्रतिशत स्कॉलरशिप देने का ऑफर दिया है। अमेरिका के बॉबसन कॉलेज ने सुदीक्षा को चार साल के कोर्स के लिए लगभग 3.8 करोड़ की स्कॉलरशिप दी है।
अब पढ़ाई करना आसान
इस उपलब्धि के बारे में सुदीक्षा कहती हैं, पहले मेरे लिए पढ़ाई करने का सपना पूरा करना आसान नहीं था। 2011 में मुझे विद्याज्ञान लीडरशिप एकेडमी स्कूल में दाखिला मिला। इसके बाद मेरे लिए पढ़ाई जारी रखना आसान हो गया और मेरे पैरेंट्स ने मुझे पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके चलते आज इतना बड़ा मुकाम मिला है।
ऐसे मिली स्कॉलरशिप
सुदीक्षा को टेस्ट के जरिए शिव नाडर फाउंडेशन के स्कूल विद्याज्ञान में एडमिशन मिला था। उसने 10वी की परीक्षा भी अच्दे नंबरों से पास की थी। उसके बाद भी सुदीक्षा ने अमेरिका के बॉबसन कॉलेज में स्कॉलरशिप के लिए फॉर्म भरा था लेकिन तब उसका वहां चयन नहीं हो पाया था। अब 12वीं में टॉप करने के बाद उसने फिर से कोशिश की। इस बार उसे सफलता मिली। सुदीक्षा के अनुसार, कॉलेज की तरफ से 100 बच्चों का चयन किया गया था। इनमें से भी उसे चुना गया। आपको बता दें कि शिव नाडर फाउंडेशन का यह स्कूल खासतौर से गरीब बच्चों के लिए ही है।
चार भाई-बहनों में है सबसे बड़ी
सुदीक्षा के पिता चाय बेचकर परिवार का गुजारा करते हैं। वह चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी है। परिवार की आर्थिक स्थिति और सामाजिक रूढ़ियों को तोड़कर सुदीक्षा के पिता ने अपनी बेटी को ही नहीं पढ़ाया बल्कि उसकी पढ़ाई को जारी भी रखा। सुदीक्षा अमेरिका के नामी कॉलेज में पढ़ाई के लिए तैयारी में जुटी हुई हैं। अब वह विदेश से पढ़ाई करके आईएएस बनाना चाहती हैं, ताकि अपने परिवार के साथ-साथ देश की सेवा कर सकें और बेटियों को इंसाफ दिला सकें।
गांव की अन्य छात्राओं में भरा जोश्ा
वहीं, सुदीक्षा की सफलता की कहानी ने गांव की अन्य छात्राओ में उत्साह भर दिया है। गांव वाले भी छात्रा की लगन को देखकर काफी खुश हैं। गांव वालों का कहना है कि सुदीक्षा ने गांव का नाम रोशन कर दिया है, जिससे गांव की और बेटियों को पढ़ाने के लिए दूसरे परिवार के लोग भी स्कूल भेजा करेंगे।
Published on:
20 Jun 2018 11:01 am
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