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सरसंघचालक बनने वाले पहले गैर मराठी और गैर-ब्राम्हण थे रज्जू भैया

चाहे अटल बिहारी वाजपेयी हों, लालकृष्ण आडवाणी हों या फिर स्व. अशोक सिंहल, सभी नेता रज्जू भैया का बेहद आदर करते थे

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Hariom Dwivedi

Jan 29, 2016


लखनऊ.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चौथे सरसंघचालक राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) की आज (29 Jan 1922- 14 July 2003) पुण्यतिथि है। वह 1994 से 2000 तक आरएसएस के सरसंघचालक रहे थे। इस मौके पर पत्रिका उत्तर प्रदेश आपको उनके बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य बता रहा है।

पहले छत्रिय सरसंघचालक थे रज्जू भैया
रज्जू भैया पहले गैर महाराष्ट्रीयन और पहले गैर-ब्राम्हण सरसंघचालक थे। वह वह 1994 से 2000 तक आरएसएस के सरसंघचालक रहे थे। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई की और फिर इसी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और फिजिक्स के हेड ऑफ डिपार्टमेंट के तौर पर काम किया। राजेन्द्र सिंह को घर में सब प्यार से रज्जू कहते थे। आगे चलकर उनका यही नाम सर्वत्र लोकप्रिय हुआ।

छह साल तक रहे सरसंघचालक

सरसंघचालक के तौर पर उनका कार्यकाल (1994-2000) आरएसएस और बीजेपी के लिए काफी महत्वपूर्ण था। चाहे अटल बिहारी वाजपेयी हों, लालकृष्ण आडवाणी हों या फिर स्व. अशोक सिंहल, सभी नेता रज्जू भैया का बेहद आदर करते थे। क्योंकि वह आदर्शवाद की साक्षात प्रतिमूर्ति थे।

रज्जू भैया के कहने पर नानाजी ने ठुकरा दिया था मंत्रिपद
आपातकाल के बाद जब जनता पार्टी की सरकार में जब नानाजी देशमुख को उद्योग मन्त्री का पद देना निश्चित हो गया तो रज्जू भैया ने उनसे कहा कि नानाजी अगर आप, अटलजी और आडवाणीजी - तीनों सरकार में चले जायेंगे तो बाहर रहकर संगठन को कौन संभालेगा? नानाजी ने उनकी इच्छा का आदर करते हुए तुरन्त मन्त्रीपद ठुकरा दिया और जनता पार्टी का महासचिव बनना स्वीकार किया।

1942 में आरएसएस से जुड़े

संघ से प्रभावित होकर रज्जू भैया 1942 में आरएसएस के संपर्क में आये। 1966 में उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अपने पद से इस्तीफा दे दिया और फुल टाइम संघ के साथ जुड़ गए और उत्तर प्रदेश में प्रांत प्रचारक का जिम्मा संभाला और पूरे यूपी में संघ का प्रचार प्रसार किया। इसके बाद 11 मार्च 1994 को वह सरसंघचालक बने।

बुलंदशहर के थे रज्जू भैया

रज्जू भैया का जन्म उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में हुआ था। क्योंकि उनके पिता उस समय सिंचाई विभाग (शाहजहांपुर) में अभियंता के रूप में तैनात थे। रज्जू भैया के पिता (बलबीर सिंह) मूलरूप से यूपी के बुलन्दशहर जिले के बनैल पहासू गांव के निवासी थे। वह भारतीय इंजीनियरिंग सेवा (आईईएस) में चयनित होने वाले प्रथम भारतीय थे।

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