शिक्षा और परिवार का सहारा रूपाली ने जय अकादमी से इंटरमीडिएट और गाजियाबाद से इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन में बीटेक किया। 2019 में वह दिल्ली सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए गईं, लेकिन एक साल बाद घर लौट आईं। उन्होंने घर पर रहकर तैयारी करने का फैसला किया और पूरे परिवार ने उनका समर्थन किया।
पांचवें प्रयास में मिली सफलता पांचवें प्रयास में रूपाली को 446वीं रैंक हासिल हुई। रूपाली ने कुछ महीने प्राइवेट जॉब करने के बाद सिविल सेवा में जाने का फैसला किया था। स्मार्ट रणनीति और कड़ी मेहनत
उन्होंने बताया कि उन्होंने विस्तार से पढ़ने की बजाय अपने हिसाब से नोट्स बनाए और उन पर ध्यान केंद्रित किया। वह हर दिन लक्ष्य निर्धारित करती थीं और उसे पूरा करने का प्रयास करती थीं।
यूपीएससी में बदलाव, छोटे शहरों के बच्चों को मौका रूपाली का कहना है कि यूपीएससी ने अपनी परीक्षा पद्धति में बदलाव किया है और अब छोटे शहरों और घर पर रहकर तैयारी कर रहे बच्चों को ध्यान में रखते हुए सवाल पूछे जाते हैं।
उत्तर प्रदेश के विकास की चिंता साक्षात्कार में उनसे उत्तर प्रदेश के बारे में कई सवाल पूछे गए थे। रूपाली का कहना है कि उनका मानना है कि बुंदेलखंड को सबसे ज्यादा विकास की जरूरत है और वह शिक्षा, स्वास्थ्य और अनुसंधान क्षेत्र में काम करना चाहती हैं।
प्रेरणा का स्रोत रूपाली की सफलता उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा है जो सपने देखने की हिम्मत रखती हैं और कड़ी मेहनत करती हैं।