
बीएचयू सिंह द्वार से निकलता ताजिए का जुलूस,बीएचयू सिंह द्वार से निकलता ताजिए का जुलूस,बीएचयू सिंह द्वार से निकलता ताजिए का जुलूस,बीएचयू सिंह द्वार से निकलता ताजिए का जुलूस,बीएचयू सिंह द्वार से निकलता ताजिए का जुलूस
वाराणसी. मोहर्रम पर बीएचयू परिसर से हो कर निकलने वाले ताजिए के विरोध में कुछ छात्र जहां धरने पर बैठ गए वहीं विश्वविद्यालय के प्रोफेसर से लेकर उससे जुड़े तमाम लोगों ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। हर कोई विश्वविद्यालय प्रशासन को दोषी ठहराते हुए इसे नई परंपरा बता रहा है। सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस ने आम शहरियों को भी प्रभावित किया है। हालांकि फेसबुक पोस्ट वायरल होते देख कुछ प्रोफेसरों ने अपनी पोस्ट डिलीट भी कर दी है। इसमें ज्यादतर प्रोफेसर ऐसे हैं जिन्होंने यहीं पढाई भी की है। लेकिन देर शाम तक कई पोस्ट पर बहस जारी रही।
ताजिया निकाले जाने के विरोध में कुछ छात्र धरने पर बैठ गए। उनका भी आरोप है कि यह नई परंपरा है जिसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन दोषी है। विश्वविद्यालय परिसर में ताजिया निकालने की इजाजत देने वालों को दंडित किया जाना चाहिए।
उधर प्रोफेसरों और कतिपय संगठन से जुड़े लोगों की एफबी पोस्ट के बाद सामान्यजन के बीच भी चर्चा छिड़ गई है। कई लोग इस बहस पर आपत्ति जताने लगे हैं।
इस मामले में पत्रिका ने चीफ प्रॉक्टर प्रो ओपी राय से संपर्क किया तो उनका कहना था कि यह कोई नई परंपरा नहीं है। मुझे नई परंपरा शुरू करने का कोई अधिकार भी नहीं है। उन्होंने कहा कि जहां तक याद है करीब 40-45 वर्ष से विश्वविद्यालय परिसर में ताजिया निकलता है। बताया कि यह ताजिया छित्तूपुर से निकलता है और लॉ फेकिलिटी से होते महिला महाविद्यालय के रास्ते मुख्य द्वार से बाहर निकलता रहा है। इस साल भी सुबह 10 बजे वह ताजिया निकला। अब इसे कुछ छात्र बिना वजह मुद्दा बना कर धरने पर बैठे हैं जो उचित नहीं।
Published on:
10 Sept 2019 09:11 pm
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