दरअसल, मतदान से पूर्व सत्ता के इशारे पर बृजेश सिंह को वाराणसी केंद्रीय कारागार से पहले शाहजहांपुर और फिर सहारनपुर जेल भेज दिया। माफिया डॉन से माननीय बनने की राह में सरकार ने कई रोड़े डाले लेकिन सरकार सफल नहीं हो पाई और बृजेश सिंह ने सपा को करारी पटखनी तो दी ही अपना पुराना हिसाब भी चुकता किया। बुधवार को विधान परिषद में नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाई गई। बृजेश सिंह को भी शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत करना था विधान परिषद सदस्य की शपथ लेने को। समर्थक सहारनपुर और लखनऊ पहुंच चुके थे। बृजेश भी तैयार बैठा था कि जेल प्रशासन ने सूचना दी कि सहारनपुर में सेना भर्ती के चलते फोर्स का अभाव है। सेना भर्ती में फोर्स की ड्यूटी दिखाते हुए सहारानपुर जिला प्रशासन ने गारद की कमी का बहाना बनाते हुए असमर्थता जता दी। बृजेश सिंह को जैसे ही यह समाचार मिला, मायूस हो गए। सत्ता के इशारे पर हुए खेल ने बृजेश सिंह और उसके परिवार को सरकार पर तोहमत लगाने का एक और मौका मिल गया।