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BREAKING राजा भैया को पूर्वांचल के इस दबंग मंत्री ने दी पटखनी

जानिए कैसे लगा कुंडा के राजा और पर्यटन मंत्री को झटका

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Vikas Verma

Oct 20, 2016

raja bhaiya

raja bhaiya

वाराणसी. कुंडा के राजा यानि रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया को जोर का झटका धीरे से लगा है। राजा भैया को यह झटका पूर्वांचल के दबंग मंत्री ने दिया है। इस दबंग मंत्री ने एक झटके में दिखा दिया कि पूर्वांचल में उसका सिक्का चलता है। वह चाहे तो पटरी से उतार दें या फिर राइट टाइम पर किसी को स्टेशन पहुंचा दें। बात हो रही है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चहेते रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा की जिन्होंने सपा परिवार से जुड़े गाजीपुर के एमएलसी विशाल सिंह उर्फ चंचल सिंह को कमल भगवा रंग में रंग दिया है।

गौरतलब है कि गाजीपुर के निर्दलीय एमएलसी चंचल सिंह अब भाजपाई हो गए हैं। कुछ देर बाद ही वह लखनऊ में पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे। चंचल के इस कदम से सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव, बाहुबली दबंग विधायक मोख्तार अंसारी के साथ ही यूपी में क्षत्रियों का नेता होने का दावा करने वाले राजा भैया को झटका लगा है।

दरअसल, यह कहानी शुरू होती है बीते दिनों हुए एमएलसी चुनाव से। वाराणसी के प्रमुख कारोबारी विशाल सिंह चंचल की जो शिवपाल के करीबी माने जाते हैं, की राजनीतिक महत्वाकांक्षा जागी और उन्होंने सपा से गाजीपुर के लिए टिकट मांगा। सूत्रों के अनुसार बात फाइनल थी लेकिन बीच में आ गए पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश सिंह। ओमप्रकाश सिंह ने लखनऊ में अपने हिसाब से सपा प्रमुख को ऐसी घुट्टी पिलाई कि संबंध काम न आए और चंचल को सपा का टिकट नहीं मिला। चंचल की सपा परिवार ेसे नजदीकियां किसी से छिपी नहीं थी। टिकट न मिलने से चंचल के अहम को भी ठेस पहुंचा और वह निर्दल ही कूद पड़े। कारोबारी दिमाग यहां भी लगा और पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश लाख कोशिशों के बाद भी चंचल को रोक नहीं पाए और चंचल चुनाव जीत गए।

इन सारे प्रकरण पर बड़ी खामोशी से नजर लगाए थे गाजीपुर के सांसद व रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा। गाजीपुर में एक तरफ अंसारी बंधु तो दूसरी तरफ ओमप्रकाश के दबदबे के बीच चंचल को सहारा मिला रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा का। रेल राज्यमंत्री ने अपने संसदीय क्षेत्र के एमएलसी चंचल को भरपूर सम्मान दिया। गाजीपुर में हर कार्यक्रम में अचानक मनोज सिन्हा और एमएलसी चचंल दिखने लगे। एक तरफ दिवंगत भाजपा विधायक कृष्णानंद राय के भतीजे आनंद राय तो दूसरी तरफ विशाल सिंह चंचल के गाजीपुर की राजनीतिक जंग में कूदने से अंसारी बंधुओं के खेमे के साथ ही ओमप्रकाश सिंह भी बेचैन हो गए।

गाजीपुर में चंचल के बढ़ते दबदबे से घबराए पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश इस जुगलबंदी को तोडऩे के लिए अपनी ही सरकार के कद्दावर मंत्री व बाहुबली राजा भैया के दरबार पहुंचे। क्षत्रिय नेताओं की बीच लंबी वार्ता हुई। वार्ता के बाद राजा भैया ने कई बार चंचल से फोन पर वार्ता की ओर क्षत्रिय होने की दुहाई देते हुए पुरानी बातों को भूलने को कहा। सूत्रों के अनुसार राजा भैया ने चंचल को कई दफा फोन से वार्ता कर पर्यटन मंत्री से सुलह समझौते का दबाव डाला लेकिन चंचल नहीं तैयार हुए। चंचल राजा भैया को सिर्फ आश्वसनों की पोटली थमाते रहे और उधर मनोज सिन्हा ने चंचल को अपने सांचे में ढाल लिया था। ओमप्रकाश की तल्खी और राजा भैया के दबाव पर मनोज सिन्हा की आत्मीयता भारी पड़ी और चंचल ने रेल राज्यमंत्री का साथ पकड़ लिया।

चंचल के भाजपा में शामिल होने से पार्टी को भी खासा फायदा होगा क्योंकि चंचल की वाराणसी, सोनभद्र, मीरजापुर, चंदौली से लेकर आसपास के अन्य जिलों में युवाओं के साथ ही कारोबारी क्षेत्र में भी खासी पकड़ है। ऐसे में चंचल का यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल होना, पूर्वांचल के दो क्षत्रिय नेताओं और सूबे की सरकार में मंत्री राजा भैया और ओमप्रकाश सिंह को तगड़ा झटका मिला है। सूत्रों की माने तो विधानसभा चुनाव में बीजेपी गाजीपुर की किसी सीट से चंचल की पत्नी को चुनाव मैदान में उतार सकती है।

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