जीवनशैली में बदलाव के कारण बालिकाओं को कम उम्र में ही पीरियड्स शुरू हो रहे हैं। कुछ वर्ष पहले तक जहां बालिकाओं में पीरियड्स के शुरुआत की उम्र 14-16 वर्ष थी, वह अब घटकर 11-13 वर्ष के बीच आ गई है। शहरी ही नहीं ग्रामीण इलाकों में भी बालिकाओं को 11-13 वर्ष की उम्र में पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। मानसिक परिपक्वता से माहवारी शुरू होने के कारण कई बालिकाएं अवसाद का भी शिकार हो रही हैं। ऐसी स्थिति में बालिकाओं के लिए उनकी मां मददगार साबित हो रही हैं। वे न केवल उन्हें माहवारी के बारे में बता रही हैं बल्कि हाइजीन का ध्यान रखना भी सिखा रही हैं।
अमरिका के नेशनल सेंटर फॉर बॉयोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन की राजस्थान पर हुई एक स्टडी के अनुसार 82 फीसदी बालिकाओं पहले पीरियड्स के बारे में जानकारी उनकी मां ने दी। वहीं 13 प्रतिशत मामलों में बड़ी बहन, 4 प्रतिशत मामलों में दोस्त व एक प्रतिशत में किसी अन्य उन्हें यह जानकारी दी।
कम उम्र में पीरियड्स शुरू के कारण
– जीवनशैली में परिवर्तन- जंक फूड व फास्ट फूड अधिक खाना
– मोबाइल-कम्प्यूटर पर ज्यादा समय बिताना
– वर्चुअल दुनिया में रहने के कारण अकेलापन महसूस होने लगता है
– शारीरिक गतिविधियां कम होने से वजन का बढ़ना- इन सभी के कारण हॉर्मोन्स जल्दी सक्रिय होने लगते हैं।
– आजकल की लाइफ स्टाइल का सीधा असर लड़कियों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। उन्हें 11-12 साल की उम्र में पीरियड्स शुरू हो रहे हैं। इतनी छोटी बच्चियां पीरियड्स को देखकर कई बार डर जाती है। उन्हें लगता है कि यह कोई बीमारी है। कई बार डिप्रेशन में भी जा सकती हैं। बच्चियों इसे सामान्य तरीके ले, इसके लिए मां का सपोर्ट बेहद जरूरी है। मां और स्कूल टीचर को बालिकाओं के 9-10 साल की उम्र में पीरियड्स के बारे में बताना चाहिए। उन्हें न केवल पूरी जानकारी दे बल्कि यह महसूस भी करवाए कि ये बिल्कुल सामान्य है। कोई बीमारी नहीं है। काउंसलिंग के साथ ही उनकी शारीरिक गतिविधियों की भी ध्यान रखे। ब्लीडिंग के कारण उनमें आयरन की कमी भी हो सकती है। इसीलिए खान-पान का विशेष ध्यान रखे। खाने में आयरन की मात्रा बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का उपयोग करे। जंक फूड नही खाएं।
– डॉ. राखी आर्य, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रसूति एवं स्त्री रोग, एसएमएस मेडिकल कॉलेज