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अगले साल तक खत्म हो जाएगा भूजल, इन शहरों में बूंद-बूंद के लिए तरसेगी जनता

60 फीसदी राज्यों में पानी की स्थिति खराब 10 करोड़ लोग जल संकट का सामना करेंगे 2 लाख लोगों की मौत हर साल गंदा पानी पीने से होती है70 फीसदी पानी की आपूर्ति देशभर में प्रदूषित है60 फीसदी राज्यों में पानी स्थिति खराब52 फीसदी देश का कृषि क्षेत्र वर्षा जल पर निर्भर40 फीसदी भूजल आपूर्ति में कमी दर्ज की गई है

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देशभर में मच रहा पानी के लिए हाहाकार मच रहा है. आने वाले दिनों में ये संकट ओर अधिक बढ़ने वाला है. अगर ऐसे ही हाल रहे तो पानी की एक एक बूंद के लिए संघर्ष करना होगा. देश के 21 शहरों में अगले साल तक भूजल खत्म हो जाएगा. राजस्थान के पांच शहर भी इन शहरों में शामिल है.
इन शहरों में से कई शून्य भूजल स्तर को छूलेंगे. इसका सीधा असर देश के करीब 10 करोड़ लोगों पर होगा. इनमें से 6 करोड़ लोगों को पानी की एक-एक बूंद के लिए संघर्षं करना पड़ेगा. नीति आयोग ने इसका खुलासा ‘कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स नाम की रिपोर्ट में किया है. दुनिया के 122 देशों के ग्लोबल वाटर क्वालिटी इंडेक्स में भारत 120 वें स्थान पर है. रिपोर्ट के अनुसार 70 फीसदी पानी प्रदूषित है. देश के 75 फीसदी घरों में पीने के साफ पानी की आपूर्ति नहीं होती है. 84 फीसदी ग्रामीण क्षेत्रों के घरों में पाइप से जल आपूर्ति की सुविधा नहीं है. 2030 तक पानी की मांग दोगुनी होने से जल संकट बढ़ेगा.
भूजल दोहन को लेकर खतरे में राजस्थान के ये शहर
जैसलमेर
जयपुर
जोधपुर
बीकानेर
अजमेर

 

प्रदेश में गिरते भूजल के हालात सिहरन पैदा कर रही है. करीब तीस साल पहले प्रदेश के 203 ब्लॉक सुरक्षित थे. वही आज यह संख्या घटकर 44 तक रह गई है. कुंओं में जहां जल 15 से 20 फीट पर उपलब्ध था. वहां जलस्तर 200 फीसदी से भी नीचे जा चुका है. पेयजल की कमी और संकट का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है.

भूजल स्तर के ये है हालात
भूजल स्तर जनवरी 2018
भू सतह से नीचे निगरानी कुएं प्रतिशत में
40 मीटर से अधिक- 19.86 प्रतिशत
20 से 40 मीटर- 17.47 प्रतिशत
10 से 20 मीटर- 19.26 प्रतिशत
05 से 10 मीटर- 22.06 प्रतिशत
02 से 05 मीटर- 16.67 प्रतिशत
02 से कम- 04.69 प्रतिशत

राजस्थान का क्षेत्रफल 3,42,239 स्क्वायर कि.मी. है. जबकि राजस्थान में सामान्य वार्षिक बारिश 549 एमएम होती है. साल 1951 में प्रति व्यक्ति पानी उपलब्धता 5,177 घन मीटर थी. जो घटकर 2025 तक 1341 घन मीटर रहने का अनुमान है. ऐसे हालात में भी जल संसाधन प्रबंधन में भी राजस्थान दसवें नंबर पर है. इन आंकड़ों में हैरानीवाली बात ये है कि बारिश में कोई कमी नहीं आई. जी हां विभाग के आंकड़ों की माने तो 1900 से 1950 में हुई औसत बारिश से ज्यादा 1951 से लेकर 2000 तक हुई है. इसके बावजूद प्रदेश का 49 प्रतिशत हिस्सा जल समस्या से जूझ रहा है. वही दूसरी ओर प्रदेश के 18609 गांव फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर है.
ऐसे में अब वक्त आ गया है. अब हमें, सरकार, प्रशासन सभी को इस संकट पर गंभीरता से उचित कदम उठाना होगा.
‘सहेजा नहीं जल तो कैसे सुरक्षित होगा कल’