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रणथम्भौर में अवैध खनन, धमाकों से चिड़चिड़े हो रहे बाघ

https://www.patrika.com/jaipur-news/ रणथम्भौर में अवैध खनन, धमाकों से चिड़चिड़े हो रहे बाघ

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बाघों को बचाने के लिए सरकारें करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं। कई संस्थाएं इनका संरक्षण करने में जुटी हैं। वहीं, कई स्वार्थी लोग अपनी जेबें भरने के लिए बाघों के घरों को ही नष्ट करने में जुटे हैं। बाघों के विचरण क्षेत्रों में खलल डाल रहे हैं। हरियाली से आच्छादित रहने वाले पहाड़ खोखले हो रहे हैं। अवैध खनन कर बाघों की सुरक्षा और रहवास को खतरे में डाला जा रहा है। इसका नतीजा ये है कि बाघ आबादी क्षेत्र में आ रहे हैं। इससे बाघों और आमजन दोनों की जान खतरे में आ आई हैं। कभी कोई इंसान मर रहा है तो कभी कोई बाघ। रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान में क्रिटिकल टाइगर हेबिटेट के 20 अलग-अलग क्षेत्रों में अवैध खनन हो रहा है। प्रतिदिन करीब 100 ट्रेक्टर-ट्रोली पत्थर निकाला जा रहा है। ट्रेक्टर ट्रोलिया राष्ट्रीय उद्यान से जुड़ी चैक पोस्ट और वन विभाग के दफ्तर के सामने से होकर गुजरती है। लेकिन सब आंखें मूंदे है। पहाड़ियो का सीना छलनी हो रहा है। लेकिन स्वार्थ की पट्टी आंखों पर होने के कारण किसी को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है। सुत्रों की माने तो क्रिटिकल टाइगर हेबिटाट से अवैध रूप से खनन के जरिए निकाला जा रहा पत्थर निजी मकानों के निर्माण के उपयोग में लाया जा रहा है। साथ ही सड़क बनाने के अलावा सरकारी भवनों और होटलों के निर्माण में भी इस पत्थर का उपयोग किया जा रहा है।