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परिजनों की इस गलती की वजह से मां की गोद में तड़पते हुए मासूम बेटी ने तोड़ा दम

परिजनों की इस गलती की वजह से मां की गोद में तड़पते हुए मासूम बेटी ने तोड़ा दम

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भारत में विज्ञान बहुत आगे बढ़ चुका है. अंतरिक्ष में भारत ने वो क्षमता हासिल कर ली है. जितनी कि कोई देश अंतरिक्ष में इंसान भेजने में सक्षम हो जाता है. एक तरफ भारत पूरी दुनिया में विज्ञान में अपनी अलग और विशेष पहचान बना रहा है. वही दूसरी तरफ भारत का एक ऐसा काला सच आज भी उसका पीछा नहीं छोड़ रहा है. जी हां राजस्थान में अंधविश्वास के चलते राजस्थान में हालही घटी दो घटनाएं तो यही संकेत दे रही है.
पहली घटना है एमबीएस अस्पताल की. दरअसल बूंदी के हिंडोली कस्बा के चेता गांव निवासी एक वर्षीय बालक की एक साल साल पहले अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी. बालक की मौत के बाद परिवार के सदस्यों की तबीयत खराब रहने लगी. घर में अशांति होने पर परिजनों ने भोपे की शरण ली. भोपे ने मृतक की आत्मा अस्पताल में भटकने की बात बताते हुए अस्पताल से आत्मा लाने की सलाह दी. इसी के चलते करीब दो दर्जन महिला-पुरूष मृतक की आत्मा लेने कोटा एमबीएस अस्पताल पहुंचे. अस्पताल के पुराने आउटडोर के पास परिजनों ने बाकायदा पूजा अर्चना की. इस दौरान पुलिसकर्मी, अस्पताल के सुरक्षा गार्ड भी मौके पर पहुचे. उन्होंने परिजनों की समझाइश कर अस्पताल के अंदर जाने से रोका.

दूसरी घटना है बांसवाड़ा जिले की. जहां अंधविश्वास ने दो और मासूमों की जान ले ली. गनोड़ा क्षेत्र के सवा पाड़ा गांव में शनिवार सुबह देखने को मिला था. जब सांप काटने के बाद परिजन उसे गनोड़ा पीएचसी ले जाने की बजाय भोपे के पास ले गए थे. जहां हालत में सुधार न होने पर परिजन उसे अस्पताल ले गए. लेकिन उसने वहां दम तोड़ दिया. एक दिन पहले भी ऐसी घटना से सबक नहीं लेते हुए. भोपे के फेर में चौबीसा का पाडला निवासी 5 वर्षीय हर्षिता पुत्री कैलाश बारिया ने दमतोड़ दिया. हर्षिता भी शाम को घर में रसोई के पास खेल रही थी. घर के बाहर खेतों की ओर वो जैसे ही गई सांप ने काट लिया. इसके बाद माता-पिता उसे तलवाड़ा सीएचसी ले जाने की बजाय भोपे के पास ले गए. जब झाडफ़ूंक में बच्ची की हालत में सुधार नहीं हुआ तो परिजन उसे तलवाड़ा सीएचसी ले गए. जहां से उसे एमजी अस्पताल के लिए रैफर कर दिया गया. उपचार के दौरान हर्षिता ने उसकी मां की गोद में दम तोड़ दिया.

विज्ञान के युग में लोग अंधविश्वास के अंधेरे से बाहर नहीं निकल पा रहे है. अब भी उन्हें ऐसा लगता है कि तंत्र-मंत्र की मदद से अपनों की आत्मा को वापस बुलाया जा सकता है. वही दूसरी ओर लोगों ये भी लगता है कि सांप या किसी जहरीले जानवर के काटे जाने पर भोपे उसका इलाज, डॉक्टरों से पहले और सही तरके से कर सकते है. हर बार उनकी ऐसी कोशिशें नाकाम रहती है. फिर, भी अंधविश्वास के अंधेरे को चीर सत्य के उजाले की ओर कदम नहीं बढ़ाते है.