जयपुर. दिमाग की नस फूलने (एन्युरिज्म) की स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि एक विशेष प्रकार के स्टेंट फ्लो डायवर्टर लगाने से भी यह ठीक हो सकता है। उसे एन्युरिज्म तक ब्लड सप्लाई पहुंचा रही नस के पास डाला जाता है, जो ब्लड फ्लो को डायवर्ट कर देता है। जिससे एन्युरिज्म तक खून न पहुंचने से वह सूख कर अपने आप ठीक हो जाता है।
ये बात इटली से आए न्यूरोसर्जन प्रोफेसर लुसियानो मेस्ट्रोनर्दी ने शुक्रवार से एक होटल में इंटरनेशनल मैनिनजिओमा सोसायटी, वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ न्यूरोसर्जिकल सोसायटी और न्यूरोवेलफेयर सोसायटी ऑफ जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में शुरू हुई तीन दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में कही। इस कॉन्फ्रेस में देश-विदेश से नामी न्यूरोसर्जन हिस्सा ले रहे हैं।
बिना छेड़छाड़ खत्म हो सकता है ट्यूमर
सत्र में डॉ. हेमंत भारतीय ने बताया कि अगर ट्यूमर ब्रेन की गहराई या जड़ में है तो वहां गामा नाइफ तकनीक बेहद कारगर है। इस तकनीक में ट्यूमर पर हाई डोज रेडिएशन दिया जाता है। जिससे उसे ट्यूमर की ग्रोथ या तो रुक जाती है या बहुत कम हो जाती है। हालांकि इस तकनीक का असर दो से तीन सालों में देखने को मिलता है, लेकिन इससे ट्यूमर बिना दिमाग में ज्यादा छेड़छाड़ किए जड़ से खत्म हो जाता है।
स्टूडेंट्स ने सीखी बारीकियां
कॉन्फ्रेंस के ऑर्गनाइजिंग चेयरमैन व सीनियर न्यूरो सर्जन डॉ. हेमंत भारतीय ने बताया कि पहले दिन वर्कशॉप में इटली से आए मॉड्यूल्स पर हैंड्स ऑन ट्रेनिंग दी गई। इस दौरान न्यूरोसर्जरी के स्टूडेंट्स ने माइक्रोस्कोपिक ब्रेन सर्जरी की बारीकियां सीखी। ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. विवेक वैद ने बताया कि कॉन्फ्रेंस में अमरीका, यूरोप, जापान समेत अन्य कई देशों से जाने माने न्यूरो सर्जन हिस्सा ले रहे हैं।