प्रदेश में लगातार किसान कर्ज माफी नेताओं का सियासी हथियार बनता जा रहा हैं. वैसे किसान के नाम पर सियासत भारत में कोई नई परम्परा नहीं है. सालों से सभी दल के किसान के नाम पर सियासत करते आ रहे है. बस इसी पूरानी परम्परा को आज के युवा नेता और सरकारे आगे बढ़ा रही है. आज राजस्थान विधानसभा में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला जहां विपक्ष ने किसानों की आवाज को बड़ी प्रमुखता से उठाया. वही सरकार भी किसानों को लेकर बनाई योजनाओं को लेकर अपनी पीठ थप-थपाई….लेकिन असल में किसानों से जमीनी हालत और और किसानों की दुर्दशा आप और हम अच्छे से समझ सकते है.
दरअसल आज राजस्थान विधानसभा सत्र के दौरान प्रश्नकाल में किसान कर्ज माफी से जुडे प्रश्न पर सहकारिता मंत्री उदय लाल आंजना के जवाब से असंतुष्ट भाजपा विधायकों विरोध किया. सहकारिता मंत्री उदय लाल आंजना के जवाब से असंतुष्ट भाजपा विधायकों ने किसानों के साथ धोखा करने का आरोप लगाया. जिसके बाद विपक्ष ने सदन से वाकआउट कर दिया. प्रश्नकाल में विधायक निर्मल कुमावत के प्रश्न पर सहकारिता मंत्री आंजना ने बताया कि एक जुलाई तक 19 लाख 43 हजार 390 किसानों का 7549 करोड रुपए का ऋण माफ किया है. सबको प्रमाण पत्र भी जारी कर दिए गए हैं. इस पर निर्मल कुमावत ने कहा कि यह नहीं बताया गया है कि दो लाख रुपए तक के ऋण कितने किसानों के माफ हुए हैं. इसका जवाब कोई नहीं दे रहा. इसके अलावा मंत्री ने इस बात का भी सही जवाब नहीं दिया कि जो पैसा माफ किया गया वह सहकारी समितियों के खाते में डाल दिया गया या नहीं. इसी बीच नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया,उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड समेत विपक्ष के अन्य नेता खडे हो गए. विपक्ष ने सरकार पर किसानों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया. सरकार ने उनको धोखा दिया है. अध्यक्ष सी पी जोशी ने उनको बोलने से रोका और अगला प्रश्न पुकारा तो विपक्ष के सदस्यों ने उन पर भी सत्ता पक्ष को संरक्षण देने का आरोप लगाया. कुछ देर शोर—शराबा होने के बाद मंत्री के जवाब से असंतुष्ट और अध्यक्ष के बोलने से रोकने से नाराज होकर विपक्ष के सदस्यों ने वाकआउट कर दिया.