आंखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा।
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूं उसने मुझे छू कर नहीं देखा।
अपनी गजलों में तमाम जज्बात को समेटने वाले ये शायर बशीर बद्र हैं। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में पैदा हुए बशीर बद्र का आज जन्मदिन है। बशीर बद्र की शायरी और जिंदगी के तमाम किस्से हैं लेकिन उनके एमए में एडमिशन का किस्सा बेहद दिलचस्प है। दरअसल, 34 साल की उम्र में बशीर एमए करने के लिए अलीगढ़ यूनिवर्सिटी पहुंचे। 1969 तक बशीर बद्र की गजलें इतनी मशहूर हो चुकी थीं कि वो यूनिवर्सटी के सिलेबस का हिस्सा थीं। उनका एडमिशन हुआ तो स्टूडेंट ने सवाल किया कि क्या वो अपनी गजल पढ़कर ही परीक्षा देंगे। ऐसे में वही टॉप करेंगे। ये एतराज प्रोफेसर तक पहुंचा। इसके बाद डिपार्टमेंट ने कहा कि हम उनके लिए अलग पेपर बनाएंगे। उनके लिए अलग पेपर बना। बशीर बद्र ने एग्जाम दिया और टॉप भी किया।