नागौर. प्रदेश में 35 दिन में रिकार्ड एक हजार से अधिक मकान बेचकर 162 करोड़ रुपए से ज्यादा कमाकर खुद की पीठ थपथपा रहे आवासन मंडल के अधिकारियों के पास कॉलोनी के विकास को लेकर कोई योजना नहीं है। अधिकारियों की लापरवाही की हद तो तब हो गई जब ठेकेदारों की ओर से 2013 में बनाए मकान गिर गए और जिम्मेदारों ने उन्हीं मकानोंं को ई ऑक्शन में बेच दिया। ई ऑक्शन में यह सुविधा थी कि आप बिना आवासन मंडल कार्यालय गए घर या कार्यालय में बैठकर भी नीलामी प्रक्रिया में भाग ले सकते थे। लोगों ने आवासन मंडल की ऑनलाइन बेवसाइट पर दिए मकानों में से मकानों का चयन कर ई बोली लगा दी लेकिन जब मकान खरीदने के बाद मौके पर देखा तो मकान खंडहर हो चुके थे।
सुविधाओं के नाम पर आश्वासन
करीब पांच साल पहले बालवा रोड पर अच्छी लोकेशन पर बेहतर सुविधाओं का वादा कर आवास बेचने वाले आवासन मंडल के मकानों से मोह भंग होने लगा है। कॉलोनी में सुविधाओं के अभाव में आवंटी यहां रह नहीं पा रहे हैं वहीं नए मकान लेने वाले भी निवेश के हिसाब से ही मकान खरीद रहे हैं। नवम्बर में शुरू ई ऑक्शन कार्यक्रम के पहले चरण में ठीक ठाक हालत वाले 28 व दूसरे चरण में 26 मकान बिके लेकिन इसके बाद बिक्री का यह ग्राफ धीरे-धीरे नीचे गिरता गया। इसके बाद बुधवार उत्सव में 4 दिसम्बर को 17, 11 दिसम्बर को 12 व 18 दिसम्बर को महज छह आवास बिके। नागौर में अभी भी करीब 300 से अधिक मकान अधिशेष है।
जिम्मेदार नहीं देते जवाब
ई ऑक्शन के बाद आवंटन समेत अन्य समस्याओं को लेकर जहां उच्चाधिकारियों से सम्पर्क करने के बावजूद आवंटियों की सुनवाई नहीं हो रही है वहीं नागौर खंड कार्यालय में एक्सईएन का चार्ज एईएन के पास होने से वे भी कोई निर्णय लेने में खुद को सक्षम नहीं मानते। आवंटियों का कहना है कि जयपुर आवासन मंडल आयुक्त ना तो मेल का जवाब देते हैं और ना ही फोन पर उनकी समस्या सुन रहे हैं। आवंटियों को लीज, नामांतरण, कब्जा, आवासों की मरम्मत, लाइट व पेयजल समेत कॉलोनी के विकास से जुड़ी अन्य समस्याओं को लेकर कार्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। कई आवंटी लम्बे समय से चक्कर काट रहे हैं लेकिन फाइलें बीकानेर व नागौर के बीच ही घूम रही है।
एसीडी में चल रही जांच
नागौर में मकानों की खराब गुणवत्ता के संबंध में एसीडी जांच कर रही है। जांच रिपोर्ट के आधार पर संबंधित ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सुविधाओं को लेकर जल्द कार्रवाई करेंगे।
ज्ञानेश्वर व्यास, उप आवासन आयुक्त, बीकानेर