इंदौर. शहर में प्रिवेंटिव हेल्थ केयर का अब तक का सबसे बड़ा सर्वेक्षण हुआ है, जहां एक लाख से ज्यादा लोगों के 8 लाख से ज्यादा टेस्ट किए गए। दावा है कि यह जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों का पता लगाने के लिए ये दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा अभियान है। जांच रिपोर्ट से पता चला है कि 48 प्रतिशत लोग गंभीर बीमारियों के मुहाने पर हैं। शनिवार को एआइसीटीएसएल सभागृह में सांसद शंकर लालवानी की अगुआई में धार्मिक, सामाजिक व व्यापारिक संगठनों के साथ जिला प्रशासन, नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग की बैठक हुई। इसमें सर्वे में बताए गए खतरों से निपटने के लिए कार्ययोजना बनाने पर चर्चा की गई। हेल्थ ऑफ इंदौर सर्वे में विभिन्न समाज, आयु, इलाकों, आय वर्गों का अध्ययन किया गया। एक लाख 113 लोगों ने सर्वे में भाग लेकर 8 तरह के टेस्ट करवाए। 48 प्रतिशत लोगों की एक या एक से अधिक रिपोर्ट असामान्य पाई गई। शहर में सांसद सेवा प्रकल्प, सेंट्रल लैब, आइएमए, रेडक्रॉस, नगर निगम, जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और समाजों के संयुक्त प्रयासों से यह सर्वे किया गया है।
बचने के लिए 10 से 15 साल का समय
सर्वे में आशा की किरण भी दिखी। 31 से 40 और 40 से 50 वर्ष उम्र के लोगों में लाइफ स्टाइल संबंधी बीमारियों का खतरा ज्यादा मिला। यानी 31 साल के व्यक्ति के पास 10 से 15 साल का समय है कि वह जीवन शैली में बदलाव कर लें।
आधार कार्ड से जुड़ेगा हेल्थ कार्ड
सर्वे में शामिल सभी लोगों के फोन नंबर हैं। इनका इलाज किया जाएगा। डिटेल को आधार कार्ड से जोड़कर हेल्थ कार्ड बनाया जाएगा। केंद्र सरकार की इस योजना के तहत लोग अपनी सेहत संबंधी रिपोर्ट कहीं से भी देख व पढ़ पाएंगे।
युद्ध स्तर पर बनानी होगी योजना
सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि सर्वे के नतीजे चिंताजनक हैं। 48 प्रतिशत आबादी गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकती है। इसे रोकने के लिए हमें मिलकर युद्ध स्तर पर योजना बनानी होगी। कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने सर्वे को प्रिवेंटिव हेल्थ केयर की दिशा में बड़ा कदम बताते हुए बीमारियों के बारे में जागरुकता फैलाने पर जोर दिया।