रायपुर. किसी भी तालाब या किसी जलाशय का अस्तित्व खत्म करना गुनाह है, ऐसी व्यवस्था है। परंतु उस पर पलीता लगाने में जिम्मेदार ही सबसे आगे हैं। तालाबों, जलाशयों का संरक्षण करने के बजाय पाटने का खेल नगर निगम क्षेत्र में लंबे समय से चल रहा है। अब एक और टिकरापारा क्षेत्र के गभरापारा तालाब का अस्तित्व समाप्त करने पर काम शुरू हो चुका है। शहर के ऐतिहासिक बूढ़ातालाब के पुलिस लाइन वाली रोड में मोटी पाइप डालने के लिए खुदाई चल रही है। उससे जो माटी और मुरम निकल रहा है, उसे गभरापारा तालाब में डालकर पाटा जा रहा है। हैरानी की बात ये कि आधे से अधिक हिस्से को पाटा जा चुका है परंतु नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी उस पर रोक लगाने के बजाय चुप्पी साध रखे हैं।
यह तालाब चारों तरफ की आबादी से घिरा हुआ है। संरक्षण नहीं होने के कारण तालाब पूरी तरह से बदहाल हो चुका है। इसी का फायदा उठाकर नगर निगम ने गभरापारा तालाब का संरक्षण, सौंदर्यीकरण कराने के बजाय पाइप लाइन की खुदाई करने वाले ठेकेदार को उस तालाब में मिट्टी डालने के लिए बता दिया गया। नतीजा, तालाब समतल होने के कगार पर पहुंच गया। रात के समय कई डंपर और ट्रैक्टर इस काम में लगे नजर आते हैं। आसपास के लोगों का कहना है कि यह तालाब निजी भूमिस्वामी का है, इसलिए पटवाने का खेल किया जा रहा है, जिससे कि उस जगह को बेचने का रास्ता साफ हो सके। यही वजह है कि जिन लोगों पर तालाब को बचाने की जिम्मेदारी है, उनकी मौन स्वीकृति है। यह क्षेत्र नगर निगम के जोन 6 में आता है। कमिश्नर रमेश जायसवाल तक शिकायत पहुंचने पर उन्होंने इस मामले की पूरी जानकारी लेने की बात कही है।
इससे पहले दर्जनभर तालाब पटाने से बर्बाद
शहर में तालाबों के दायरों को समेटने का खेल लंबे समय से चल रहा है। दर्जनभर तालाब रजबंधा को पूरी तरह से पाटा जा चुका है। आमापारा तालाब समाप्त हो चुका है। ऐसे ही दर्जनभर तालाब को समाप्त कर दिया गया। सरयूबांधा तालाब के एक हिस्से को पाट दिया गया। खोखो पारा का कुछ हिस्सा ही बचा है।
तालाबों के संरक्षण के लिए लगातार सौंदर्यीकरण का कराया जा रहा है। गभरापारा तालाब की पूरी जानकारी मंगाएंगे। इतना जरूरी है कि निजी या पुस्तैनी किसी भी तालाब को पाटा नहीं जा सकता है। ऐसा आदेश है।
– राजेश शर्मा, अधीक्षण अभियंता, योजना नगर निगम