बीकानेर विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विषय के अध्ययन का एक मात्र केन्द्र रहा है शहीद भगत सिंह महाविद्यालय।
पांच दशक से प्रयोगशाला में धूल फांक रहे हैं लाखों रुपए के मनोविज्ञान प्रयोगशाला के उपकरण।
सोहन वर्मा
रायसिंहनगर. मनोविज्ञान विषय के अध्ययन का हब रहे बीकानेर विश्वविद्यालय के एक मात्र शहीद भगत सिंह महाविद्यालय में प्रशासनिक की उदासीनता के चलते एक के बाद एक फैकल्टी बंद होती जा रही है। पहले बीसीए फिर मनोविज्ञान और अब कॉमर्स विषय अंतिम दौर में है। तत्कालीन प्राचार्य जीएस मान के प्रयासों से अस्सी के दशक में यूजी के लिए मनोविज्ञान विषय की शुरुआत की गई थी। इसी दौरान लाखों रुपए की लागत से मनोविज्ञान प्रयोगशाला स्थापित कर सत्र 2008-09 में मनोविज्ञान विषय की पीजी कक्षाएं भी शुरु की गई थी। बीकानेर विश्वविद्यालय का एक मात्र कॉलेज होने के कारण अन्य जिलों से भी छात्र अध्ययन के लिए यहां आते थे। सत्र 2012-13 आते -आते पीजी कक्षाएंदम तोड़ गई। मनोविज्ञान विषय की यूजी कक्षाएं अंतिम सांसें गिन रही हैं। बीस सीटों के साथ शुरु हुई पीजी कक्षाओं को तत्कालीन महाविद्यालय प्रशासन ने सीटें फिलअप नहीं होने का हवाला देकर महाविद्यालय में मनोविज्ञान विषय को बंद कर दिया गया, जबकि प्रतिवर्ष का आंकड़ा देखें तो 80 से 90 फीसदी सीटें फिलअप हो जाती थी। पीजी कक्षाओं से संबंधित प्रयोगशाला उपकरण पांच दशक बाद भी अलमारियों से बाहर ही नहीं निकल पाए। कमोबेश यही हश्र बीसीए का हुआ। मात्र तीन साल के बाद बीसीए की कक्षाओं को बंद कर बीसीए विषय समाप्त कर दिया गया। कॉलेज प्रशासन की मानें तो कॉमर्स मनोविज्ञान फैकल्टी की यूजी कक्षाओं का महाविद्यालय में अंतिम दौर चल रहा है। बीकॉम प्रथम वर्ष व द्वितीय वर्ष में स्वीकृत 40 सीटों में से इक्का दुक्का ही विद्यार्थी शेष बच्चे हैं। यह हालत रही तो इन विषयों को भी बंद करना पड़ेगा। महाविद्यालय के पूर्व विद्यार्थी रहे एडवोकेट गगनदीप सिंह मान, डॉक्टर सुनील भांभू ने बताया कि उन दिनों में मनोविज्ञान विषय के अध्ययन के लिए अन्यत्र जिलों से छात्र यहां आते है, लेकिन अब मनोविज्ञान विषय में रुचि रखने वाले छात्रों को संभाग से बाहर अन्यत्र जाकर अध्ययन करन पड़ता है। छात्र नेता रवि मालिया, अरुण पारीक व महादेव बिश्नोई आदि ने बताया कि जल्द ही महाविद्यालय में प्रवेश प्रारंभ हो जाएंगे। सरकारीकरण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। महाविद्यालय में प्राचार्य की नियुक्ति कर नए सिरे से संबंधित विषयों के व्याख्याताओं के पद स्वीकृत कर बंद किए गए विषयों को पुन: बहाल कर क्षेत्र के छात्रों को लाभ मिल सके।
छात्र संख्या के अभाव में एक दशक पहले मनोविज्ञान की पीजी कक्षाओं को बंद किया जा चुका है। कॉमर्स व मनोविज्ञान विषय में भी नाम मात्र के छात्र शेष रहे हैं। प्रवेश लेने वाले छात्रों को संबंधित विषयों में प्रवेश लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
-अंकित गोदारा, प्राचार्य शहीद भगतसिंह महाविद्यालय रायसिंहनगर।
अथक प्रयासों से महाविद्यालय में मनोविज्ञान विषय स्वीकृत करवाया गया था, लेकिन उसके बाद कॉलेज प्रशासन का मनोविज्ञान विषय के प्रति रवैया उदासीन रहा, जिसके चलते यह संकाय बंद हो गया। अब बीकानेर विश्वविद्यालय के अन्तर्गत किसी भी महाविद्यालय में छात्रों के लिए मनोविज्ञान विषय में पीजी के अध्ययन का कोई केन्द्र नहीं है। प्रशासन का रवैया यही रहा तो यूजी में मनोविज्ञान विषय बीते दिनों की बात हो जाएगी।
– जलन्धर सिंह, पूर्व प्रोफेसर, शहीद भगत सिंह महाविद्यालय रायसिंहनगर।