हंसराज सरणोत. स्वच्छ भारत मिशन के तहत घरों में बने शौचालयों में कबाड़ और घरेलू साजो-सामान रखने, किराणा की दुकानें चलने के मामले सामने आ चुके हैं। अब आदिवासी बहुल फलासिया पंचायत समिति की कोल्यारी पंचायत में टॉयलेट का अनोखा उपयोग सामने आया है। इस पंचायत में देवड़ावास निवासी नकाराम कसोटा की घरवालों से नहीं बन पाई। विवाद पर घर छोडऩा पड़ा। नकाराम के पास मजदूरी के अलावा कमाई का और कोई जरिया भी नहीं है और रहने का कोई ठौर भी नहीं बचा। उसने एक संस्था द्वारा बनवाए शौचालय को ही आवास बना लिया। पांच गुना पांच फीट पर बना टॉयलेट असल में काम नहीं आ पाया था। नकाराम ने घर का साजो-सामान इसमें रख लिया। कड़ाके की ठंड के बीच उसके दो बच्चे इसी में सोते हैं। वह और पत्नी सुनीतादेवी पास ही चार बल्लियों पर ताने छप्पर तले सोते हैं। दंपती की रातें अलाव जलाकर रातभर बच्चों की रखवाली में बीतती हैं।