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5 साल से फ्रिज में रखा है इस बाबा का शरीर, जिंदा होने की उम्मीद में भक्त 24 घंटे देते हैं पहरा

locationनई दिल्लीPublished: Feb 18, 2019 12:14:25 pm

Submitted by:

Pratima Tripathi

आज देशभर में उनके 100 केंद्र संचालित हैं। जबकि जालंधर में उनका आश्रम करीब 40 एकड़ में फैला हुआ है।

ashutosh maharaj still in freezer

5 साल से फ्रिज में रखा है इस बाबा का शरीर, जिंदा होने की उम्मीद में भक्त 24 घंटे देते हैं पहरा

नई दिल्ली। आमतौर पर डॉक्टरों के द्वारा किसी को क्लीनिकली डेड घोषित करने के बाद उसे मृत मान लिया जाता है, लेकिन कई बार लोगों को इसके बावजूद भी उस शख्स के जिंदा होने की उम्मीद होती है। हम ये बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि पंजाब के लुधियाना में एक ऐसे बाबा थे जिनकी मौत साल 2014 में हो गई थी लेकिन उनके भक्तों को आज भी उनके जिंदा होने की उम्मीद है। यही वजह है कि बाबा के शरीर को -22 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर फ्रीजर में रखा गया है और जिस कमरे में बाबा के शरीर को रखा गया है उसकी सुरक्षा के लिए 20 भक्त 24 घंटे खड़े रहते हैं। इन बाबा का नाम आशुतोष महाराज है।

 

नूरमहल डेरा के प्रमुख थे बाबा

आशुतोष महाराज नूरमहल डेरा के प्रमुख और दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संत थे। आशुतोष महाराज को 28 जनवरी 2014 को सीने में दर्द की शिकायत के बाद इलाज के लिए लुधियाना के सद्गुरु प्रताप अपोलो अस्पताल ले जाया गया था, जहां पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। लेकिन इस घटना को पांच सालों से अधिक हो जाने के बाद भी भक्तों को उम्मीद है कि बाबा फिर से जिंदा हो जाएंगे।

 

कोर्ट के निर्देश पर हर छह माह में होता है परीक्षण

आशुतोष महाराज के शव का परीक्षण हर छह माह में किया जाता है। इसके लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने तीन डॉक्टरों का पैनल बनाया है। यह पैनल हर छह माह में आशुतोष महाराज के शव का परीक्षण करता है कि कहीं उनका शव खराब तो नहीं हो रहा है। इतना ही नहीं दिव्य ज्योति जागृति संस्थान ने भी अपने स्तर पर डॉक्टरों की एक टीम बनाई है जो प्रत्येक चार रातों में आशुतोष महाराज के शव का चेकअप करती है।

 

40 एकड़ में फैला है आश्रम

आशुतोष महाराज का जन्म 1946 में बिहार के दरभंगा जिले के नखलोर गांव में हुआ था। इनका असली नाम महेश झा था। शादी के 18 महीने बाद ही इन्होंने अपनी पत्‍नी और पुत्र (दिलीप झा) को छोड़कर सतपाल महाराज से दीक्षा ले ली थी। साल 1983 में आशुतोष महाराज ने अपना एक अलग आश्रम शुरू किया। नूरमहल सिटी में 16 मरला हाउस खरीदने से पहले आशुतोष महाराज गांवों में जाकर सत्संग किया करते थे और अपने आश्रम का प्रचार किया करते थे। आज देशभर में उनके 100 केंद्र संचालित हैं। जबकि जालंधर में उनका आश्रम करीब 40 एकड़ में फैला हुआ है।

 

कोर्ट में दी गई है ये दलील

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के वकील और पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट सुनील चड्ढा ने आशुतोष महाराज को जिंदा साबित करने के लिए कई सारे इतिहास के उदाहरण बताए हैं। जिसमें बताया गया है कि रमन महाऋषि 16 साल की उम्र में समाधि में चले गए थे और लोगों ने उन्हें मृत मान लिया था परंतु वह वापस जीवन में लौट आए। इसके अलावा 1962 में श्रीधर स्वामी दो सालों के लिए समाधि में रहे थे, लेकिन दो साल बाद उनकी आत्मा वापस शरीर में लौट आई थी।

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