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ट्रेन में सो रहा था आदमी, अचानक खींच दी जंजीर बोला कि आगे पटरी पर क्रैक है, लोगों ने जाकर देखा तो…

locationनई दिल्लीPublished: Apr 08, 2019 03:10:26 pm

Submitted by:

Shweta Singh

शख्स को था एक्सीडेंट होने का पूर्वानुमान
आधी रात को उठकर खींच दी जंजीर
सैकड़ों को मिली नई जिंदगी

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ट्रेन में सो रहा था आदमी, अचानक खींच दी जंजीर बोला कि आगे पटरी पर क्रेक है, लोगों ने जाकर देखा तो…

नई दिल्ली। ‘अध जल गगरी छलकत जाए’ इस कहावत को तो आप सभी ने सुना ही होगा। इसका अर्थ यह है कि जिस इंसान में ज्ञान कम होता है उसमें दिखावा अधिक होता है। आज हम एक ज्ञानी महापुरूष के जीवन से संबंधित एक घटना के बारे में बताने जा रहे हैं। यह कहानी बेहद चौंकाने वाली है और साथ ही इसे पढ़कर आपको इस बात का भी एहसास हो जाएगा कि जो वास्तव में ज्ञानी होते हैं वे अपना डंका नहीं खुद नहीं बजाते हैं।

Sir M. Visvesvaraya

हम यहां भारतरत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की बात कर रहे हैं। वह भारत के मशहूर इंजीनियर, राजनेता और मैसूर के दीवान थे। उनका जन्म 15 सितंबर, 1861 को मैसूर (कर्नाटक) के कोलार जिले में स्थित चिक्काबल्लापुर तालुक में हुआ था। उन्हीं की याद में हर साल 15 सितंबर के दिन को इंजीनियर्स डे (अभियंता दिवस) के रूप में मनाया जाता है।

उनकी जिंदगी का एक खास किस्सा बेहद मशहूर है जिसके बारे में हम आज बात करने जा रहे हैं। उस वक्त भारत में अंग्रेजों का शासन था। आधी रात के वक्त लोगों से खचाखच भरी एक ट्रेन अपने गन्तव्य की ओर जा रही थी।

रेलगाड़ी के डिब्बे में ज्यादातर यात्री अंग्रेज थे। ट्रेन के एक कम्पार्टमेंट में एक भारतीय खिड़की से सिर को टिकाकर सो रहा था। वह बहुत शांत और गंभीर था। सांवले रंग और मंझले कद के इस आदमी को देखकर अंग्रेज उसे अनपढ़ समझ रहे थे।

Railway in British raj

एकाएक उस आदमी ने उठकर ट्रेन की जंजीर खींच दी। ट्रेन रुक गई। सभी उससे पूछने लगे कि आखिर उसने ऐसा क्यों किया? लोगों ने ये सोचा कि शायद उन्होंने नींद में ऐसा किया होगा। जब गार्ड ने उनसे आकर इसका कारण जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसा लग रहा है कि यहां से लगभग एक फर्लांग (220 गज) की दूरी पर रेल की पटरी उखड़ी हुई है।

लोगों ने सोचा कि यह आदमी मजाक कर रहा होगा। आखिर ट्रेन में बैठे-बैठे इस बात का पता किसी को कैसे चल सकता है! विश्वेश्वरैया ने लोगों को ट्रेन से उतरकर पटरी को चेक करने को कहा। वहां पहुंचकर सबके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि वाकई पटरी के जोड़ खुले हुए थे, सारे नट-बोल्ट्स बिखरे पड़े हुए थे।

Bharat Rathna Sir M. Visvesvaraya

जब लोगों ने उनसे इस पूर्वानुमान के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि वह बैठकर ट्रैक की आवाज को ध्यान से सुन रहे थे। अचानक ही जब आवाज बदल गई तो उन्हें समझ में आ गया कि कुछ तो गड़बड़ है।

सभी यात्री उनकी प्रशंसा करने लगे क्योंकि सूझबूझ से सैकड़ों की जान बच गई। जब गार्ड ने उनसे उनका नाम पूछा तो उन्होंने अपना परिचय दिया। डिब्बे में बैठे सारे अंग्रेज स्तब्ध रह गए क्योंकि उस समय तक वह देश में मशहूर हो गए थे। यानि कि जिस इंसान को मूर्ख समझकर अंग्रेज उनका मजाक उड़ा रहे थे वह वास्तव में एक ज्ञानी पुरुष था।

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