नई दिल्लीPublished: Mar 18, 2019 04:52:34 pm
Priya Singh
नई दिल्ली। भील आदिवासियों में होली की प्रथा बेहद ही अलग तरह से मनाई जाती है। होली के दिन यहां लोग बाजार यानी हाट में खरीदारी के साथ-साथ अपने लिए साथी ढूंढने आते हैं। जैसा की हम जानते हैं कि देश के हर प्रांत में होली मानाने का तरीका अलग-अलग है। भील आदिवासी होली को भगोरिया कहते हैं। मध्यप्रदेश में आदिवासी क्षेत्रों में होने वाली इस प्रथा में आदिवासी लड़के एक खास तरह का वाद्ययंत्र बजाकर नृत्य करते हैं और नृत्य करते-करते जब युवक किसी युवती के मुंह पर गुलाल लगाता है और वह भी बदले में गुलाल लगा देती है तो मान लिया जाता है कि दोनों विवाह सूत्र में बंधने के लिए सहमत हैं। लड़का फिर लड़की को अपने साथ भगाकर ले जाता है और दोनों की शादी हो जाती है। युवती द्वारा प्रत्युत्तर न देने पर युवक दूसरी लड़की की तलाश में जुट जाता है।