
नई दिल्ली। कपड़े खरीदते समय ( Time ) हम किसी तरह का समझौता नहीं करते। लेकिन बात जब जूतों की आती है, तो हम कुछ लापरवाही कर जाते हैं। जूतों के बारे में की गई यह लापरवाही जान का जोखिम भी बन सकती है। ये बात सुनने में अजीब लग सकती है, पर सच है। ये बात हाल ही में हुए एक वैज्ञानिक ( scientist ) शोध ( research ) में सामने आई है। अधिकतर माता-पिता अपने बच्चों को छोटी उम्र से ही तंग जूते पहनाना शुरू कर देते हैं। इस बात पर वो ज्यादा ध्यान नहीं देते।
शोध के अनुसार, बच्चों का पैर तेजी से बढ़ता रहता है। ऐसे में समय-समय पर जूता बदलना जरूरी होता है। अध्ययन से यह भी पता चला है कि जब बच्चे खेलने में व्यस्त रहते हैं तो वे खुद अपने जूते छोटे होने का पता नहीं लगा पाते।
कई मामलों में देखा गया है कि जो महिलाएं हर वक्त हाई हील पहनकर रखती हैं, उनकी हड्डियों के ढांचे में बदलाव आ जाता है। बदलाव में अगर वे नंगे पैर या बिना हील की चप्पल पहनती हैं तो उनके पैरों और कमर में दर्द होने लगता है। वो बिना हील पहने चल नहीं पाती हैं।
शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि बुजुर्गों को सबसे ज्यादा खतरा रबड़ की चप्पल से होता है। इस तरह की चप्पल को लोग अपने घरों में इस्तेमाल करते हैं। ये ज्यादा फिसलती हैं, जिसके कारण चोट लगने का खतरा रहता है। शोध में पाया गया कि अधिकतर लोग घर के बाथरूम में या फिर सीढ़ियों से इसलिए फिसल गए, क्योंकि उन्होंने रबड़ की चप्पल पहन रखी थी।
ये दी गई सलाह
शोध में सलाह दी गई है बच्चों के जूतों को छह महीनों में बदलते रहना चाहिए या जांच करते रहना चाहिए कि वे तंग तो नहीं हो गए। इसी तरह जो लोग बुजुर्ग हैं, उन्हें सही जूते पहनकर रखने जरूरी हैं। एक बार फिसलने पर हड्डियां टूट सकती हैं, जिन्हें उस उम्र में दोबारा जोड़ना नामुमकिन भी हो सकता है। इसलिए सही फिटिंग वाले हल्की एड़ी के जूते पहन कर रखने चाहिए।
Updated on:
27 Jul 2019 11:07 am
Published on:
27 Jul 2019 11:05 am
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