
loyalty program
अपने बिजनेस को कामयाबी के शिखर तक पहुंचाने के लिए आपको लॉयल्टी प्रोग्राम्स का सही तरह से इस्तेमाल शुरू कर देना चाहिए। एक सफल एंटरप्रेन्योर बनने के लिए आपको अपने कस्मटर्स या क्लाइंट्स का विश्वास और भरोसा जीतना होता है। बिना इनके आप कभी अपने बिजनेस को आगे नहीं ले जा सकते। यही कारण है कि लॉयल्टी प्रोग्राम्स आजकल एक बेहतरीन मार्केटिंग टूल बनकर उभर रहे हैं। अगर आप भी सफलता पाना चाहते हैं तो आपको भी लॉयल्टी प्रोग्राम्स शुरू कर देने चाहिए। आइए जानते हैं कि किसी भी बिजनेस की सफलता के लिए लॉयल्टी प्रोग्राम्स क्यों जरूरी हैं -
कस्टमर्स को लाते हैं वापस
लॉयल्टी प्रोग्राम्स के जरिए आप अपने कस्टमर्स को वापस ला सकते हैं। जो कस्टमर्स आपके प्रोडक्ट या सर्विस से खुश हंै, अगर आप उनके लिए लॉयल्टी प्रोग्राम शुरू करेंगे तो वह हमेशा के लिए आपके ब्रांड के साथ जुड़ जाएंगे। इस तरह से आपके बिजनेस को काफी फायदा होगा और आप आगे बढ़ेंगे।
गर्व महसूस करवाते हैं
जब आप अपने कस्टमर्स के लिए लॉयल्टी प्रोग्राम्स शुरू करते हैं तो आपके कस्टमर्स को अच्छा लगता है। इसके साथ ही आपके कस्टमर्स को इस बात का गर्व होता है कि वह आपके प्रतिष्ठित ब्रांड या कंपनी के साथ जुड़े हुए हैं और वह खुश होते हैं।
दोनों के लिए हैं फायदेमंद
जिस तरह से लॉयल्टी प्रोग्राम आपके लिए फायदेमंद है क्योंकि आपको अपने प्रोडक्ट या सर्विस के लिए परमानेंट कस्टमर्स मिल रहे हैं। उसी तरह, यह प्रोग्राम्स आपके कस्टमर्स के लिए भी फायदेमंद हैं क्योंकि उन्हें इनसे कई रिवॉड्र्स मिल रहे हैं।
बाधा को राह की रुकावट ना बनाएं
जीवन में कोई भी व्यक्ति जीवन में कामयाब हो सकता है, बशर्ते वह तय कर ले कि उसे कुछ कर दिखाना है। अगर आपने दृढ़ निश्चय कर लिया तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती। किसी बीमारी से जूझने के बावजूद कोई भी सक्सेस पा सकता है, इसकी बेहतरीन मिसाल हर्ष सोंगरा है। माय चाइल्ड एप के इनोवेटर भोपाल के हर्ष का ११ साल की उम्र में डिस्प्रेक्सिया डायग्नोस किया गया था, जो कि एक न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर है और यह मोटर स्किल्स को प्रभावित करता है। लेकिन यह उनके लिए हतोत्साहित करने वाला नहीं था। यही वजह थी कि १६ साल की उम्र में वह एंड्रॉयड बेस्ड मोबाइल एप्स के लिए कोडिंग में एक्सपर्ट बन गए थे। डिस्प्रेक्सिया जैसे डिस्ऑर्डर को लेकर जागरुकता की कमी और बेहद कम जानकारी होने की वजह से कई साल तक हर्ष के पैरेंट्स को उनकी बीमारी का पता भी नहीं चल पाया था। अपने डिस्ऑर्डर से घबराने की बजाय हर्ष ने माय चाइल्ड एप डवलप की। यह एक फ्री मोबाइल एप है, जिसकी मदद से माता-पिता ११ से २४ महीनों के बीच अपने बच्चे की ग्रोथ को मॉनिटर कर सकते हैं और संभावित न्यूरोलॉजिकल, फिजिकल और स्पीच डिस्ऑर्डर को स्क्रीन कर सकते हैं। जनवरी २०१५ में लॉन्च की गई यह एप पैरेंटिंग के लिए गाइड की तरह है। हर्ष ने इस एप के जरिए उस वास्तविक समस्या को सुलझाने का प्रयास किया, जिसका सामना उनके पैरेंट्स ने किया। इस एप के लिए हर्ष को कई इन्वेस्टर्स से सीड फंडिंग प्राप्त हुई। यही नहीं, इसी एप से मिली सक्सेस के बदौलत ही वह फस्र्ट फोब्र्स इंडिया ३० अंडर ३० लिस्ट में भी शामिल हुए। फेसबुक सीओओ शेरिल सैंडबर्ग ने भी अपने ब्लॉग की पोस्ट पर हर्ष की एप का उल्लेख किया था और उनके काम की तारीफ की थी। हर्ष के अनुसार, किसी भी काम की सफलता के लिए बेहद जरूरी है कि वह काम यूनीक हो और आप उसमें अपना शत प्रतिशत दें। कोई भी शख्स अपने अनोखे आइडिया पर काम कर कामयाब हो सकता है।
Published on:
22 Dec 2017 09:47 am
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